शहडोल : नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहीं पैथालॉजी

शहडोल, मध्य प्रदेश : नगर की ज्यादातर पैैथोलॉजी में किसी भी चिकित्सक का नाम लिख कर और उनकी डिग्री पैथोलॉजी में लगाकर अनुभवहीन लोग धड़ल्ले से जांच कर रहे हैं।
नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहीं पैथालॉजी
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शहडोल, मध्य प्रदेश। बीमारियों की पुष्टि के लिए पैथोलॉजी लैब की अहम भूमिका होती है। इनकी एक गलत जांच रिपोर्ट मरीज को मौत के दरवाजे तक ले जा सकती है, परन्तु जिले में कुछ पैथोलॉजी लैब ऐसे भी हैं जो बगैर पैथोलॉजिस्ट के संचालित हो रहे हैं। यहां धड़ल्ले से शुगर, मलेरिया, टाईफाइड, वायरल व अन्य बीमारियों की जांच हो रही है। नगर की ज्यादातर पैैथोलॉजी में किसी भी चिकित्सक का नाम लिख कर और उनकी डिग्री पैथोलॉजी में लगाकर अनुभवहीन लोग धड़ल्ले से जांच कर रहे हैं। जबकि पैथलॉजी संचालन में योग्य पैथोलॉजिस्ट का होना अनिवार्य है।

सुप्रीम कोर्ट के यह थे आदेश :

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए एमडी पैथोलॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी माना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब हर कोई व्यक्ति या गैर योग्यता धारक लोग पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकता। इस संबंध में चिकित्सकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में एमसीआई- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के उस निर्णय को सही माना है, जिसमें पैथोलॉजी लैब में पीजी योग्यताधारकों द्वारा ही जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर को जरूरी बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी लैबोरेट्री में रिपोर्ट पीजी पैथोलॉजिस्ट द्वारा हस्ताक्षरयुक्त नहीं है तो उस स्थिति में उस रिपोर्ट को गलत माना जाएगा। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट देने वाली पैथालॉजी सेंटर लैबोरेट्रीज को तत्काल बंद कर देना चाहिए।

नहीं मानते नियम :

जिला मुख्यालय में ही लाईफ केयर पैथोलॉजी का संचालन किया जा रहा है। जिसमें न तो सुप्रीम कोर्ट की गाडडलाइन का पालन करते हुए पैथोलॉजिस्ट की उपलब्धता है और पैथोलॉजी में अनुभवहीन द्वारा टेस्ट रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। इससे एक ओर मरीजों को दी जा रही रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं और दूसरी ओर मरीज की जान पर भी खतरा बना हुआ है, क्योंकि बिना पैथोलॉजिस्ट के दी जा रही टेस्ट रिपोर्ट में गलती होने का खामियाजा अंतत: मरीज को ही उठाना पड़ेगा। मजे की बात यह है कि कथित लैब का संचालन न्यायाधीश के बंगले सहित कमिश्नर निवास के पास हो रहा है।

इनका कहना है :

उक्त पैथालॉजी कहां संचालित हो रही हैं, यह जानकारी नहीं है, संभवत: पैथालॉजी के संचालक द्वारा अनुमति भी नहीं ली गई है, अगर अवैध पैथालॉजी अवैध है तो, संचालक इसे बंद कर दें, जांच की जायेगी, अगर संचालक पैथालॉजी बंद नहीं गई तो, पुलिस को सूचना दी जायेगी।

डॉ. राजेश पाण्डेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शहडोल

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