One Plant A Day : श्रावण मास के तृतीय सोमवार के अवसर पर CM शिवराज ने भोपाल में लगाए ये पौधे
भोपाल, मध्यप्रदेश। श्रावण का पवित्र महीना 14 जुलाई 2022 से शुरू हुआ है आज श्रावण मास का तृतीय सोमवार है। मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने श्रावण मास के तृतीय पावन सोमवार के अवसर पर आज राजधानी भोपाल के स्मार्ट पार्क में कई पौधे लगाए है।
सामाजिक संस्था ब्रज माला समिति के सदस्यों के साथ सीएम ने किया पौधरोपण
आज भोपाल के स्मार्ट पार्क में सामाजिक संस्था ब्रज माला समिति के दिलीप रघुवंशी, डॉ. विवेक चौकसे, डॉ. स्वास्तिक भारद्वाज, डॉ. दिव्य भूषण और डॉ. देवेश दुबे के साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बरगद का पौधा लगाया। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि, ब्रज माला समिति, ऐम्स के रोगियों की सेवा के साथ भोपाल के आसपास गरीबों को भोजन वितरित करती है। मैं संस्था के सदस्यों को उनके पुनीत प्रयासों एवं कार्यों के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
वहीं आज स्मार्ट पार्क में भोपाल के आलेख सम्पादक ने अपने जन्मदिन 31 जुलाई के उपलक्ष्य में मौलश्री का पौधा लगाया। इस अवसर पर उनकी पत्नी व पिता और बच्चे तत्वार्थ व अनवद्या भी उपस्थित थे। इस दौरान सीएम ने भोपाल के आलेख सम्पादक द्वारा लिखित सेल्फ हेल्प पुस्तक "ये हौसला कैसे झुके" के दूसरे संस्करण का विमोचन किया। अंकुर की यह पुस्तक उनकी किडनी ट्रांसप्लांट के दरमियां के असली संघर्षों पर आधारित है। सीएम ने अंकुर को स्वस्थ और सफल जीवन की शुभकामनाएं दीं है। इसके अलावा आज सीएम के साथ भोपाल के स्मार्ट पार्क में एक न्यूज चैनल के सदस्य ने नीम का पौधा लगाया है।
जानें नीम, बरगद और मौलश्री के फायदे:-
नीम का पेड़- इस पेड़ का हर हिस्सा किसी न किसी बीमारी के इलाज में कारगर है। एंटीबायोटिक तत्वों से भरपूर नीम को सर्वोच्च औषधि के रूप में जाना जाता है। नीम स्वाद में भले ही कड़वा हो, लेकिन इससे होने वाले लाभ अमृत के समान हैं, इस औषधीय पौधे का उपयोग विभिन्न दवाओं के निर्माण में किया जाता है।
बरगद का पेड़- दांत और मसूड़ों को रखे स्वस्थ, प्रतिरोधक क्षमता में सुधार, डायबिटीज को दूर करने में मददगार, बांझपन और नपुंसकता में लाभदायक, जोड़ों के दर्द में मददगार, कोलेस्ट्रॉल को करे नियंत्रित।
मौलश्री का पेड़- मौलश्री को संस्कृत में केसव, हिन्दी में मोलसरी या बकूल भी कहा जाता है। यह औषधीय महत्व का वृक्ष है, जिसका सदियों से आयुर्वेद में उपयोग होता आ रहा है।
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