ग्वालियर, मध्य प्रदेश। छोटे कर्मचारियो को कोई दिक्कत होती है तो उसे कोई भी वरिष्ठ अधिकारी गंभीरता से नहीं लेता है, लेकिन जब वरिष्ठ अधिकारी दिक्कत में होते है तो भोपाल तक हल्ला मचा देते हैं। भू अभिलेख विभाग के करीब सवा सौ कर्मचारियों को पिछले दो माह से वेतन नहीं मिला है जिसके कारण उनके परिवार को खाने के लाले पड़े हुए हैं, लेकिन उनकी समस्या को समझने की कोई कोशिश नहीं कर रहा है। हालत यह है कि सवा सौ कर्मचारियों में से करीब 2 दर्जन से अधिक कर्मचारी कोरोना पॉजीटिव आएं हैं जो अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि उनका परिवार वेतन न मिलने से खर्चे के लिए परेशान हैं।
मोतीमहल में स्थित प्रदेश स्तरीय कार्यालय भू अभिलेख विभाग में चतुर्थ श्रेणी के करीब सवा सौ कर्मचारी दो माह से वेतन का इंतजार कर रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से भी बात की तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि दिखवाते हैं। तीसरा माह शुरू हो गया पर अभी तक वेतन को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। सवा सौ कर्मचारियो में से 95 कर्मचारी राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र (एसएलटीआई) में पदस्थ हैं जबकि 32 कर्मचारी मुख्यालय में पदस्थ हैं। वेतन को लेकर कर्मचारियों से कहा गया कि अपका वेतन जिस हेड में आता था वह बदल गया है इसलिए वेतन आने में दिक्कत आ रही है, इस पर कर्मचारियों ने कहा कि ऐसी दिक्कत तो आपको ही दूर कराना है, हमें क्या परेशान किया जा रहा है। अब किसी विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को अगर दो माह से वेतन नहीं मिलेगा तो उसके परिवार की क्या हालत होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन कर्मचारियों की परेशानी को समझने की वरिष्ठ अ्धिकारी कोशिश नहीं कर रहे हैं। विभाग के आयुक्त मुख्यालय में न बैठते हुए भोपाल बैठते हैं जिसके कारण उनके सामने भी समस्या को कर्मचारी नहीं रख पा रहे हैं।
इस कारण हो रही वेतन में देरी :
बताया गया है कि भू अभिलेख विभाग के सवा सौ कर्मचारियों का वेतन पहले 1200 हेड में आता था, लेकिन इस बाक बजट तो आ गया पर वेतन देने का हेड 1201 एवं 1203 कर दिया गया है जिसके कारण वेतन पत्रक जब ट्रेजरी में भेजे गए तो वहां से वापिस लौटा दिए गए, क्योंकि वेतन का जब हेड खोला जाता है तो उसमें कर्मचारियों के नाम ही नहीं दर्शाएं गए है। अब यह दिक्कत वित्त विभाग से आ रही है तो उसका समाधान भी उसी को करना है, लेकिन अपर आयुक्त भू अभिलेख द्वारा पत्र लिखने के बाद भी दो माह बाद भी उसमें सुधार नहीं किया गया है जिसके कारण कर्मचारी बिना वेतन के दो माह से काम कर रहे है ओर तीसरा माह शुरू हो चुका है। बिना वेतन के काम करने के कारण कर्मचारियों को अपने घर का खर्च चलाने के लाले पड़ गए है जिसके कारण वह उधारी लेकर काम चला रहे है। वहीं कोरोना से भी करीब 2 दर्जन से अधिक कर्मचारी पीड़ित होकर अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
इनका कहना है :
बजट तो आ गया था और हमने उसे बांट भी दिया था, लेकिन जो हेड वेतन का पहले था उसे बदल दिया गया है जिसके कारण कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। हम इस मामले में कुछ कर नहीं सकते इसलिए हमने इस संबंध में भोपाल में अपने वित्त विभाग के अधिकारियों को अवगत करा दिया है। वहां से कहा गया है कि पुर्नविनियोजन भेज दो तो हमने वह भेज दिया है और संभावना है कि सोमवार तक इस मामले का निराकरण हो जाएगा।
रजनी शुक्ला, जेडीएफ, भू अभिलेख विभाग
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