भोपाल : ऑफिसर बदलते ही निकल जाती है तमाम आदेशों की हवा
भोपाल, मध्य प्रदेश। राजधानी की बिगड़ैल ट्रैफिक व्यवस्था हमेशा से ही अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। खासकर पुराने भोपाल में यातायात नियमों को तोड़ने वालों की संख्या अधिक है। यहां हमीदिया रोड से बैरसिया रोड जाने वाले मार्गों पर जाम के हालात बनना आम बात है। ऐसे में भोपाल में आला अधिकारियों की पोस्टिंग होते ही यातायात को व्यवस्थित करने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। अधिकांश दावों की हवा समय के साथ निकल जाती है, जबकि, बची-कुची व्यवस्था अधिकारी की बदली के साथ ही दम तोड़ देती है। आज हम आपको कुछ खास अधिकारियों की ऐसी ही व्यवस्थाओं की जानकारी दे रहे हैं, जो जोर-शोर से शुरु हुई और वक्त के साथ ठंडे बस्ते में जा चुकी हैं। वहीं शहर की यातायात व्यवस्था के हालात जस के तस हैं।
आदेश ने मचा दिया था हड़कंप :
भोपाल में सबसे सफल कार्यकाल गुजारने वाले तत्कालीन डीआईजी इरशाद वली के एक आदेश ने खुद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया था। दरअसल उन्होंने एक आदेश जारी कर कहा था कि यातायात व्यवस्था में लगे अधिकारी/कर्मचारियों को वाहन चालकों के कागज जांचने की जरूरत नहीं है। वाहन संदिग्ध होने पर वीडीपी पोर्टल के माध्यम से वाहन की डिटेल जांची जा सकती है। उन्होंने यह आदेश एमपी नगर में कागजों की चेकिंग किए जाने से नाराज युवक द्वारा एसआई की हत्या के बाद जारी किया था। इस आदेश के बाद वाहन चालकों और पुलिस के बीच होने वाली झड़पों में कमी आई थी। इन दिनों शहर में एक बार फिर यातायात पुलिस के जवानों और आम लोगों में झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं। इरशाद वली ने ट्रैफिक सुधार के लिए बाइक स्कॉड बनाई थी, जो जाम लगने के हालात में किसी भी स्थान पर पहुंचकर यातायात सुचारू कराने का काम करती थी। उक्त स्कॉड इन दिनों भोपाल की सड़कों से गायब है।
ट्रैफिक पुलिस को बल दिलाया और नाइट में चैकिंग के दिए थे आदेश :
पांच साल पहले बल की कमी से जूझ रही ट्रैफिक पुलिस को डीएसपी से लेकर सिपाही तक कुल 113 तत्कालीन डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी ने दिलाए थे। इससे ट्रैफिक पुलिस का बल 302 से बढ़कर 415 हो गया था। यह बल थानों से लेकर पुलिस लाइन से निकाला गया था। पर्याप्त बल नहीं होने के कारण उस समय किसी एक जगह फोकस नहीं हो पा रहा था। इसी को देखते हुए थानों और पुलिस लाइन से अतिरिक्त फोर्स निकालकर ट्रैफिक पुलिस को दिया गया था। इसमें एक डीएसपी, 12 सब इंस्पेक्टर और 100 हवलदार व सिपाही शामिल थे। अतिरिक्त बल सुबह 10 से 12 बजे तक और शाम को साढ़े पांचे से रात साढ़े आठ बजे तक शहर के अलग-अलग मार्गो पर ट्रैफि क के लिए महत्वपूर्ण पाइंट लगाकर चेकिंग करता था।
वार्डन की मदद ली और आम जनों को जोड़ने के लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया :
भोपाल में लंबे समय तक पदस्थ रहे तत्कालीन डीआईजी रमन सिंह सिकरवार ने भी यातायात को लेकर खूब एक्सपेरीमेंट किए थे। उन्होंने यातायात पुलिस में बल की कमी को देखते हुए आम जनों के सहयोग से ट्रैफिक वार्डन की एक बड़ी टीम तैयार की थी। यह वार्डन यातायात पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर यातायात को सुचारु रूप से चलाने के लिए काम करते थे। इसी के साथ कई वाट्सऐप ग्रुप भी यातायात पुलिस ने बनाए थे। आम जनों को जोड़ने के लिए इन वाट्सऐप नंबरों का प्रचार प्रसार कराया जाता था। आम लोग यातायात संबंधी किसी भी समस्या के निदान के लिए इस ग्रुप पर फोटो वीडियो श्यर कर सकते थे। ट्रैफिक जवान तत्काल समयस्या हल करते थे।
शहर में बढऩे लगी यातायात पुलिस और आम लोगों के बीच झड़पें :
पिछले कुछ समय में यातायात पुलिस और आम लोगों के बीच झड़प एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। पुलिस नियम के नाम पर विभिन्न दस्तावेज की मांग करती है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सीट बेल्ट, मोबाइल पर बात करने वालों और बिना हैलमेट लगाए वाहन चालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। बीते एक माह में श्यामला हिल्स, हबीबगंज और पिपलानी में ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारियों के साथ बदसलूकी सहित मारपीट तक की जा चुकी है। तीनों ही मामलों में प्रकरण दर्ज कराए गए हैं।
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