भोपाल, मध्यप्रदेश। वेतन बढ़ोतरी समेत अन्य मांगों को लेकर हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल की नर्सेस की हड़ताल से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने नर्सेस को हड़ताल वापस लेकर 8 जुलाई से काम पर वापस आने को कहा है। हालांकि अभी नर्सेस की तरफ से हड़ताल वापस लेने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अस्पताल प्रबंधन का मानना है कि रात तक नर्सेस हड़ताल से वापस आ जाएगी।
हमीदिया अस्पताल में नर्सेस के हड़ताल पर जाने से वार्डों में भर्ती को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ब्लैक फंगस के हमीदिया में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन ही नहीं लगे। यहीं हाल बाकी के दूसरे वार्डों में भर्ती मरीजों के रहे। उनको ना तो समय पर दवा मिली ना इंजेक्शन लगे। इसके बाद आनन फानन में गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन (जीएमसी) ने ऋषिराज मेडिकल कॉलेज और आशा निकेतन से निवेदन कर नर्सिंग स्टाफ भेजने का निवेदन किया। इसके बाद हमीदिया अस्पताल में बुधवार को 35 नर्से पहुंची। जिनकी ड्यूटी अलग-अलग वार्डों में लगाई गई। हालांकि इनकी संख्या भी जरूरत के हिसाब से बहुत कम थी।
वहीं, पिछले तीन दिनों में कई विभागों के ऑपरेशन टालने पड़े। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक लोकेन्द्र दवे ने बताया कि हमने नर्सेस की हड़ताल को देखते हुए मरीजों को परेशानी से बचाने के लएि व्यवस्था की थी। हालांकि हड़ताल लंबी चलने के कारण कुछ ऑपरेशन टालने पड़े। हमारे रिक्वेस्ट पर आशा निकेेतन और ऋषिराज मेडिकल कॉलेज से नर्सेस को बुलाया गया था। हमें उम्मीद है कि रात तक नर्सेस हड़ताल से वापस आ जाएंगी।
गैस राहत अस्पताल की नर्सं भी हड़ताल में शामिल, परेशान हो रहे मरीज :
गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में नर्सों का आंदोलन बुधवार को भर्ती जारी रहा। बड़ी संख्या में नर्सिंग कर्मचारियों ने ट्रामा एवं इमरजेंसी यूनिट के सामने प्रदर्शन किया। मंगलवार को प्रदर्शन में मेंट्रन और सीनियर नर्स शामिल हुई थीं, जबकि बुधवार को कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल की नर्सें भी शामिल हो गईं।
नर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से हमीदिया अस्पताल में वार्ड में मरीजों को परेशानी हो रही है। कई मरीजों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि उनकी चादर तीन-चार दिन से नहीं बदली गई। यह जिम्मेदारी नर्सिंग कर्मचारियों की होती है। इनकी हड़ताल की वजह से मरीजों की चादरें नहीं बदली जा रही हैं। सीनियर नर्सों के हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों को दवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। इसकी वजह यह कि स्टोर से दवाएं लाना और मरीजों को उपलब्ध कराना नर्सिंग कर्मचारियों की जिम्मेदारी होती है। इनके हड़ताल में शामिल होने की वजह से मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। इसके अलावा सामान्य ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन ही हो पा रहे हैं। इसकी वजह यह कि हर विभाग की सर्जरी में विशेषज्ञ नर्सों की जरूरत होती है। वह सालों से ओटी में डॉक्टरों की मदद कर रही हैं। उन्हें मालूम रहता है कि कौन सा सामान कहां पर रखा है।
सुल्तानिया अस्पताल में कम दिख रहा असर :
सुल्तानिया अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल का असर कम देखने को मिल रहा है। इसकी वजह यह कि यहां पर हेल्थ डिपार्टमेंट अधिकारी-कर्मचारी संघ से जुड़ा नर्सों का दूसरा गुट ज्यादा प्रभावी है। यह गुट हड़ताल में शामिल नहीं है। अस्पताल की करीब 30 फीसद नर्सें ही आंदोलन में शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में 30 जून से चल रही नर्सों की हड़ताल को हाईकोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में अवैध घोषित कर दिया। हाईकोर्ट ने सुनवाई में पेश हुई मप्र नर्सेज एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा परमार को आदेश दिया है कि वे 8 जुलाई से काम पर लौटें। वहीं, सरकार को आदेश दिया कि वह हाई लेवल कमेटी बनाकर नर्सों की मांग का एक महीने के अंदर निराकृत करें।
इनका कहना है :
माननीय हाइकोर्ट के निर्देशों का पालन किया जायेगा, नर्सो की एक बैठक बुलाकर सुबह से हड़ताल समाप्त की घोषणा कर दी जायेगी। यह पक्का है कि 8 जुलाई से हम कम पर लौटेंगे। यानि हड़ताल समाप्त । अब सरकार की जिम्मेदारी है कि हमारी मांगों को पूरा करे जैसा कि न्यायालय ने आदेश में कहा है।
मंजू मेश्राम, प्रदेश अध्यक्ष, नर्स एसोसिएसन
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