जयारोग्य अस्पताल ग्वालियर
जयारोग्य अस्पताल ग्वालियरRE-Gwalior

अब जेएएच के मरीज को फेरा लगाकर पहुंचना होगा हजार बिस्तर अस्पताल, गंभीर मरीजों को करना पड़ेगा परेशानी का सामना

सोमवार को हॉकी स्टेडियम की ओर बने हजार बिस्तर के मुख्य द्वार को मरीजों व उनके परिजनों के लिए खोल दिया गया। जबकि सी ब्लॉक की ओर पीछे के द्वार को बंद कर दिया गया।
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ग्वालियर। अब जयारोग्य अस्पताल में आने वाले मरीजों को फेरा लगाकर हजार बिस्तर अस्पताल पहुंचना होगा, क्योंकि प्रबंधन ने मरीजों की सुविधा के लिए भले ही हजार बिस्तर के अस्पताल का मुख्य द्वार खोल दिया है, लेकिन कस्तूरबा मार्केट की ओर बने गेट के बंद हो जाने से ऐसे मरीजों की तो और जान निकलने वाली हैं, जो हजार बिस्तर अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी सीटी या एमआरआई की जांच होना है।

सम्भागायुक्त आशीष सक्सेना की सहमति के बाद सोमवार को हॉकी स्टेडियम की ओर बने हजार बिस्तर के मुख्य द्वार को मरीजों व उनके परिजनों के लिए खोल दिया गया। जबकि सी ब्लॉक की ओर पीछे के द्वार को बंद कर दिया गया, लेकिन अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को इसकी जानकारी न होने से मरीज अपने परिजनों के साथ पहले तो पीछे के द्वार पर पहुंचे, जहां उन्हें बताया गया कि अब मुख्य द्वार से ही प्रवेश मिलेगा। जिस कारण तपती धूप में मरीज परेशान होते रहे। इतना ही नहीं पीछे की ओर का द्वार बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें हुई, जिन्हें जयारोग्य की कैजुअल्टी से हजार बिस्तर के लिए रैफर किया गया था। मरीजों का कहना था कि अगर मुख्य द्वार को खोला गया तो है पीछे के द्वार भी वैल्पिक रूप से कुछ दिनों तक खोला जाना चाहिए था। जिससे मरीजों को जानकारी मिल सके।

द्वार पर लगता रहा जाम, सुरक्षाकर्मी रहे गायब

हॉकी स्टेडियम के सामने नए अस्पताल का मुख्य द्वार खुलने से द्वार पर जाम की स्थिति भी बनी रही, क्योंकि ऑटो व टेक्सी गेट पर ही सवारियों को बैठाने के चक्कर में खड़े रहे। ऐसे में द्वार पर ओपीडी के समय जाम जैसी स्थिति बनी रही,लेकिन गेट पर एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था, जिससे आने-जाने वालों को परेशानी होती रही।

अव्यवस्थित रही पार्किंग

अस्पताल का मुख्य द्वार खोलने से पहले प्रबंधन ने पार्किंग के उचित इंतजाम नहीं किये। इस वजह से मुख्य द्वार पर ही वाहन पार्क हुए। इससे यहां से गुजरने वाले मरीजों के वाहनों और पैदल निकलने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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