अब MBBS की पढ़ाई हिंदी में, फर्स्ट इयर की पाठ्य पुस्तकों का हुआ वितरण- मंत्री सारंग हुए शामिल
हाइलाइट्स-
मध्यप्रदेश में अब MBBS की पढ़ाई हिंदी में
हमीदिया अस्पताल एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी पाठ्य पुस्तकों का वितरण समारोह
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने किया हिंदी पाठ्य पुस्तकों का वितरण
भोपाल, मध्य परदेश। मध्यप्रदेश में अब MBBS छात्र हिंदी में पढ़ाई कर सकते हैं। आज राजधानी भोपाल में स्थित हमीदिया अस्पताल सभागार में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की हिंदी पाठ्य पुस्तकों का वितरण समारोह का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में MBBS के प्रथम वर्ष के छात्रों को मेडिकल की हिंदी पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया गया। अब प्रदेशभर के तमाम मेडिकल कॉलेज में हिंदी में पढ़ाई होगी। इस कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग शामिल हुए।
बता दें कि, आज गुरुवार को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने एमबीबीएस की हिंदी की पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया गया। हमीदिया अस्पताल में अन्य मेडिकल कॉलेज वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े, इस दौरान मंत्री सारंग ने ऑनलाइन पुस्तक का निशुल्क वितरण किया, साथ ही विश्वास सारंग ने एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों से किया संवाद भी किया। इस अवसर पर आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा श्री गोपाल चंद्र डाड, संचालक, चिकित्सा शिक्षा डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्तव, डीन, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय डॉ. अरविंद राय, हमीदिया अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशीष गोहिया, वर्चुअल रूप से प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेज के मंदार के प्रभारी, डीन, प्रोफेसर सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।
विश्वास सारंग ने कही यह बात:
मंत्री विश्वास सारंग ने इस दौरान हिंदी माध्यम एवं ग्रामीण परिवेश से आने वाले विद्यार्थियों के पठन-पाठन में पुस्तकों की उपयोगिता के संबंध में चर्चा की। मंत्री सारंग ने इस दौरान कहा कि, "प्रथम वर्ष की किताबों का सभी शासकीय मेडिकल कालेजों में निःशुल्क वितरण किया गया है। देश में पहली बार हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ करना मध्यप्रदेश के लिये गर्व का विषय है।"
जो 75 साल में नहीं हुआ, वो 4 महीने में हमारी फैकल्टी ने कर दिखाया है: मंत्री विश्वास सारंग
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि, "हमने वो कर दिखाया जिसके बारे में सिर्फ सोचा जाता था। आज एमपी में इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही विश्वास सारंग ने कहा कि, सरकारी अस्पताल का प्राइवेट अस्पताल से तुलना करना न्याय नहीं। यहां हर रोज 20 हजार लोग आते हैं। जो 75 साल में नहीं हुआ वो 4 महीने में हमारी फैकल्टी ने कर दिखाया है।"
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