खबर का असर : कोतवाली से आरोपी को भगाना पड़ा महंगा, हुई कोतवाली से छुट्टी

उमरिया, मध्य प्रदेश : मुख्यालय में पदस्थ महिला निरीक्षक वर्षा पटेल का तबादला आजाक थाने किया गया है, वहीं उनकी जगह राकेश उइके कोतवाली उमरिया को कमान दी गई है।
राकेश उइके कोतवाली उमरिया को कमान दी
राकेश उइके कोतवाली उमरिया को कमान दीAfsar Khan
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उमरिया, मध्य प्रदेश। मुख्यालय में पदस्थ महिला निरीक्षक वर्षा पटेल का तबादला आजाक थाने किया गया है, वहीं उनकी जगह राकेश उइके कोतवाली उमरिया को कमान दी गई है। बीते कुछ महीनों से लगातार कोतवाली प्रभारी की लारवाहियां और उनके खिलाफ शिकायतें पुलिस अधीक्षक सहित रेंज के मुखिया तक पहुंच रही थी, संभवत: इन्हीं कारणों से राकेश को कोतवाली की जिम्मेदारी देने के साथ ही महिला अधिकारी को पुलिस अधीक्षक विकास शहवाल ने वहां से हटाने के आदेश जारी किये गये।

30 अगस्त को हुई थी लूट :

सिटी कोतवाली के घघरी नाका स्थित यमुना पेट्रोल पंप में 30 अगस्त की रात्रि लूट और तोड़फोड़ की वारदात कारित हुई थी। पुलिस ने 1 सितम्बर को इस मामले का खुलासा करते हुए वारदात में शामिल अभिलाष राव, प्रमोद सिंह परिहार और सुजीत सिंह को गिरफ्तार करते हुए 3 लोगों को फरार बताया था। जिसमें सचिन पाठक, हर्ष सिंह व राजा वर्मन को फरार बताया गया था, जबकि पेट्रोल पंप के कर्मचारी के साथ ही पीड़ित ने पेट्रोल पंप संचालक अंकित शुक्ला ने सचिन पाठक को खुद कोतवाली पुलिस के  हवाले किया था, तो फिर सचिन फरार कैसे हो गया, क्या वर्दीधारियों ने थाने से सचिन को फरार कराया था?

वॉयरल हुआ था वीडियो :

30 अगस्त की रात्रि जब पेट्रोल पंप के कर्मचारी, मालिक और शिकायतकर्ता के साथ सचिन को खुद लेकर कोतवाली पहुंचे थे और पुलिसकर्मी भी उसे थाने के भीतर लेकर जा रहे थे, इस पूरे मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया में वॉयरल हुआ था, जिसमें यह साफ दिखाई दे रहा था कि पुलिसकर्मी सचिन पाठक को थाने के अंदर लेकर जा रहे थे, लेकिन 1 सितम्बर को पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए 3 लोगों की गिरफ्तारी दिखाई और सचिन पाठक सहित हर्ष सिंह व राजा वर्मन को फरार बताया गया था। जिसके बाद राज एक्सप्रेस ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए वरिष्ठों का ध्यान आकृष्ट कराया था।

कोतवाल के लिए चुनौती :

पुलिस ने 4 सितम्बर को जारी किये गये प्रेस नोट में एक बॉक्स बनाकर विज्ञप्ति जारी करते हुए लिखा था कि आरोपियों को आश्रय देना दण्डनीय अपराध है, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 216 (क) के अनुसार लूट में संलिप्त आरोपियों को आश्रय देना 7 साल तक के कठोर कारावास का दण्डनीय अपराध है। सचिन पाठक के मामले में क्या यह धारा उसे थाने से फरार कराने वाले वर्दीधारियों पर भी लागू होगी, यह भी आने वाला समय ही बतायेगा। वहीं नवागत थाना प्रभारी के लिए सचिन पाठक और हर्ष सिंह के फरार होने की वजह से यह मामला चुनौती से कम नहीं है।

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