Navratri 2023: माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने अलग-अलग तरीकों से कठिन साधना
हाइलाइट्स :
15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है।
9 दिन तक कठोर व्रत रखकर की जाती है देवी की आराधना।
नवरात्र मनाए जाने के पीछे 2 कथाएं हैं प्रचलित।
भोपाल, मध्यप्रदेश। भारत में नारी शक्ति का सबसे प्राचीन उदहरण है नवरात्र में नौ दिन की जाने वाली देवी की पूजा। नवरात्र में 9 दिन भक्त देवी के अलग-अलग रूपों की अलग-अलग तरीकों से पूजा- अर्चना की जाती है। कुछ लोग 9 दिन तक बिना अन्न खाए कठोर व्रत रखते हैं, तो कुछ 9 दिन तक घर में जवारे बोकर अखंड जोत जलाकर देवी की आराधना करते हैं। 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। जानते हैं नवरात्र मनाए जाने के पीछे की कहानी और नवरात्र के समय रखे जाने वाले तरह-तरह के व्रत।
पहले जानते हैं क्यों मनाई जाती है नवरात्र :
नवरात्र मनाए जाने का कारण काफी पौराणिक है। दरअसल, महिषासुर नमक दानव ने कठोर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था। ब्रह्मा जी ने महिषासुर से जब वरदान मांगने को कहा तब उसने कहा कि, वरदान दीजिए की कोई पुरुष या देवता उसे कभी न मार पाए। इस वरदान को पाते ही महिषासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। सभी देवता और मुनी जब महिषासुर की आसुरीय शक्तियों से त्रस्त हो गए तब वे त्रिदेव के पास गए। त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) ने अपनी संयुक्त शक्तियों का प्रयोग किया और जन्म हुआ महिषासुर मर्दनी माँ दुर्गा का। इसके बाद महिषासुर से लड़ने के लिए सभी देवताओं ने माँ दुर्गा को शस्त्र दिए। कहा जाता है कि, माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिन तक युद्ध हुआ। इस दौरान सभी देवताओं ने 9 दिन तक देवी की विजय के लिए कठोर तप किया था। 10 वें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर को हराया और तीनों लोकों को उसके भय से मुक्त किया।
इसके आलावा एक कथा यह भी :
नवरात्र व्रत मनाए जाने की एक कथा सतयुग से भी जुड़ी है। जब लंकापति रावण ने माता सीता का अपहरण किया तब प्रभु श्री राम ने 9 दिन तक माँ दुर्गा की आराधना की और कठोर तप किया था। उनके इस तप से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उन्हें दर्शन दिए विजयी होने का आशीर्वाद दिया। 10 वे दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से राम ने रावण का वध किया। इस कारण नवरात्रि के दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्र में रखे जाने वाले तरह-तरह के व्रत:
माना जाता है कि, व्रत रखे जाने से मनुष्य की इच्छाशक्ति मजबूत होती है। 9 दिन तक व्रत रखे जाने से शरीर के पाचन तंत्र की भी सफाई होती है। व्रत के आलावा 9 दिन लोग अपने-अपने घरों में जवारे बीजते हैं और अखंड जोत भी जलाते हैं। जानते हैं नवरात्रि में रखे जाने वाले विभिन्न व्रत के बारे में।
बिना नमक खाए:
नवरात्र में रखा जाने वाला यह सबसे कठिन व्रत है। इसमें भक्त 9 दिनों तक अपने आहार में नमक का उपयोग नहीं करते। कुछ लोग इस दौरान केवल मीठे आहार का सेवन करते हैं।
तुलसी, लौंग और गंगाजल:
नवरात्र के समय कुछ भक्त 9 दिन तक तुलसी, लौंग या गंगाजल का ही सेवन करते माँ दुर्गा की आराधना करते हैं।
9 दिन बिना भोजन के :
नवरात्र के समय अधिकतर लोग 9 दिन तक बिना भोजन किये व्रत करते हैं। इस दौरान लोग साबूदाने की खिचड़ी, फल, आदि के सेवन कर सकते हैं। यदि क्षमता न हो तो एक समय भोजन और एक समय फलाहार करके भी व्रत रखा जा सकता है।
9 दिन नंगे पैर का व्रत :
नवरात्र के समय कुछ भक्त 9 दिन तक बिना चप्पल या जूते पहने रहते हैं। इसके कई स्वास्थ्य फायदे भी हैं जैसे- तनाव का कम होना, शरीर की मांसपेशियों का सक्रिय होना।
ये हैं देवी के 9 रूप:
देवी शैलपुत्री:
देवी दुर्गा के 9 रूपों में से एक है शैलपुत्री। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हे शैलपुत्री कहा जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन इन्ही की पूजा की जाती है।
देवी ब्रह्मचारिणी
माँ दुर्गा का दूसरा रूप, ब्रह्मचारिणी देवी का है। नवरात्रि के दुसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।
देवी चंद्रघंटा
नवरात्र के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर घंटे के अकार का आधा चंद्र होता है इसलिए इन्हे चंद्रघंटा कहा जाता है।
देवी कूष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की आराधना की जाती है। माना जाता है कि, इनकी मंद हसी से ही सृष्टि का सृजन हुआ। इन्हे आदिशक्ति भी कहा जाता है। इस देवी की अष्टभुजाएँ होतीं हैं और इन्हे कुम्हड़े की बलि सबसे प्रिय होती है।
देवी स्कन्द माता
स्कन्द माता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है। इनकी गोद में स्कन्द स्वरुप कार्तिकेय विराजमान होते हैं इसलिए इन्हे स्कन्द माता कहा जाता है।
माँ कात्यायिनी
नवरात्र के छठवें दिन देवी कात्यायिनी की पूजा की जाती है। इस दिन अस्त्र, शस्त्र की पूजा होती है। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण भी इन्हे कात्यायिनी कहा जाता है।
देवी कालरात्रि
माता दुर्गा का सातवां स्वरूप है कालरात्रि देवी। शुम्भ-निशुम्भ की आसुरीय शक्तियों का नाश करने के लिए देवी प्रकट हुई थीं। इन्हे शुभंकर भी कहा जाता है क्योंकि इनके प्रभाव से आसुरी शक्तियों का अंत होता है।
देवी महागौरी
नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा की जाती है। श्वेत वर्ण होने के कारण इन्हे महागौरी कहा जाता है। इनके व्रत से भक्तों को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
देवी सिद्धरात्री
नवरात्र के अंतिम दिन देवी सिद्धरात्री की पूजा की जाती है। विधि-विधान से आराधना करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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