Narsinghgarh : मालवा के मिनी कश्मीर ने ओढ़ी हरियाली की चादर

नरसिंहगढ़, मध्यप्रदेश : विगत एक सप्ताह से क्षेत्र में हो रही रिमझिम बारिश के बाद मालवा क्षेत्र के मिनी कश्मीर कहे जाने वाले नरसिंहगढ़ की रंगत देखते ही बन रही है।
एक अगस्त को मित्रता दिवस और रविवार होने के कारण सैकड़ों की संख्या में सैलानी  पहुंचे।
एक अगस्त को मित्रता दिवस और रविवार होने के कारण सैकड़ों की संख्या में सैलानी पहुंचे।राज एक्सप्रेस, संवाददाता
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नरसिंहगढ़, मध्यप्रदेश। विगत एक सप्ताह से क्षेत्र में हो रही रिमझिम बारिश के बाद मालवा क्षेत्र के मिनी कश्मीर कहे जाने वाले नरसिंहगढ़ की रंगत देखते ही बन रही है। एक अगस्त को मित्रता दिवस और रविवार होने के कारण सैकड़ों की संख्या में सैलानी प्राकृतिक झरनों और हरियाली का आनंद उठाने नगर नरसिंहगढ़ में पहुंचे। सुबह से ही सैलानियों का तांता नादिया पानी, खजूर पानी, मोती कुण्ड, गुप्तेष्वर और गउघाटी पर देखने को मिला। दोपहर होते-होते राजगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर, पचोर के साथ भोपाल, कुरावर, बैरसिया सहित ग्रामीण क्षेत्र के सैलानी और युवा अपने मित्रों के साथ जलक्रीड़ा करते नजर आये।

नदिया पानी की छटा निराली, सैलानियों को करती आकर्षित :

विगत वर्ष नादिया पानी मंदिर समिति और सांवरिया सेवा समिति के सदस्यों द्वारा नगर से तीन किमी दूर जंगल के बीच स्थित नादिया पानी क्षेत्र में प्राकृतिक कुण्डों को संवारकर उनका जीर्णोद्धार किया गया है। जिसके फल स्वरूप रामसेतु के निर्माण के साथ ही गोपाल कुण्ड, बच्चा कुण्ड और नाहर कुण्ड में युवा एवं बच्चे दिनभर अटखेलिया करते है। कुछ तैरने का अभ्यास कर रहे थे, तो कुछ परिवार सहित पिकनिक पार्टी करने पहुंचे थे। गौरतलब है कि प्राचीन धार्मिक स्थल बड़ा महादेव, छोटा महादेव, नादिया पानी, गुप्तेष्वर, कोदूपानी, हनुमान गढ़ी और गणेष चौक, मारूतिनंदन, कंतोड़ा वन क्षेत्र को कुछ वर्षों से युवाओं ने नई पहचान दी है। नादिया पानी क्षेत्र के प्राकृतिक कुण्ड और गउ घाटी क्षेत्र के झरनों की विडियो सोषल मीडिया, वाट्सअप और यू ट्यूब चेनल के माध्यम से लोगों तक पहुॅची है और उसी से आकर्षित होकर सैलानी यहॉ प्रतिवर्ष पहुंचते हैं।

कोविड का हो ध्यान, पुलिस की हो व्यवस्था :

प्राकृतिक झरनों और कुण्डों में नहाने के लिये पहुॅचने वाले युवाओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिये नपा और पुलिस प्रशासन का इन क्षेत्रों में ड्यूटी लगानी होगी। जिससे बाहर से आने वाली महिला एवं बच्चों के साथ कोई अप्रिय घटना न घटे और साथ ही कोविड गाइडलाइन का भी ध्यान रखा जा सके। अभी कोरोना की तीसरी लहर का खतरा टला नहीं है फिर भी लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इन क्षेत्रों में जल अटखेलियॉ कर रहे हैं। बीएमओ डॉ गौरव त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन का ध्यान रखते हुए अपने परिवार के साथ प्राकृतिक छटा का आनंद एक निर्धारित दूरी बनाकर लिया जा सकता है।

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