प्रोत्साहन राशि में घोटाला
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Narmadapuram : प्रोत्साहन राशि में घोटाला, कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने शुरू की जांच

नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश : 175 आशाओं को किया ज्यादा भुगतान। जांच शुरू होते ही स्वास्थ्य केन्द्र से सीएमएचओ कार्यालय तक मचा हड़कंप। बीएमओ पर कार्यवाही होना तय।
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नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश। पिपरिया विकासखंड में आशा कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में हुए घोटाले में सीएमएचओ और पिपरिया की प्रभारी बीएमओ द्वारा भले ही जांच के नाम पर लीपापोती करने का भरसक प्रयास कर रहे हो, लेकिन जिले के कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लेकर पूरी मामले की जांच एसडीएम पिपरिया नितिन टाले को सौंप दी है। कलेक्टर के निर्देश मिलते ही एसडीएम नितिन टाले और तहसीलदार राजेश बौरासी ने गुरुवार को पिपरिया स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचकर दस्तावेजों की जांच पड़ताल शुरू कर दी है, जिसमें अभी 175 आशा कार्यकर्ताओं को ज्यादा भुगतान करना पाया गया है। बहरहाल अभी जांच जारी है, जो एक दिन और चलेगी, इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि कितने का घोटाला हुआ है और इसमें जिम्मेदार कौन-कौन हैं? यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि कलेक्टर के निर्देश के बाद प्रशासन स्तर पर शुरू हुई जांच की जानकारी मिलने के बाद तत्काल आनन-फानन में सीएमएचओ द्वारा गठित वह टीम भी पिपरिया अस्पताल पहुंच गई, जो जांच के नाम पर जिला मुख्यालय में लीपापोती करने में जुटी हुई थी।

जांच में यह भी सामने आया है कि यह पूरा घोटाला अगस्त 2021 से अप्रैल 2022 के बीच किया गया है। इस तथ्य से एक बात तो स्पष्ट है कि पूरे मामले की मास्टर माइंड प्रभारी बीएमओ ही हैं, जो इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ती हुईं नजर आ रहीं थी। हालांकि अब मामला कलेक्टर के संज्ञान में आ चुका है, जांच भी निष्पक्षता से की जा रही है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि जिम्मेदारों पर कार्यवाही होना तय है।

जांच में प्रथम दृष्टया यह भी सामने आया है कि आशा प्रोत्साहन राशि का घोटाला अगस्त 2021 से अप्रैल 2022 तक किया गया है, जिसमें फिलहाल 175 आशा कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए हैं, जो बढ़ भी सकते हैं और इन आशा कार्यकर्ताओं को दस से बीस हजार रूपये ज्यादा खाते में डाले गये, तो इस प्रकार 30 लाख रूप से ज्यादा की राशि का गबन सामने आ सकता है। यहां यह भी बता दें कि यह पूरा घोटाला प्रभारी बीएमओ रिचा कटकवार के संरक्षण में ही किया गया है। जबकि प्रभारी सीएमओ अपने बचाव में उस पत्र का हवाला दे रहीं हैं, जो उन्होंने 13 अगस्त 2022 को सीएमएचओ को लिखा था, जिसमें उन्होंने बीपीएम को जिम्मेदार बताते हुए मार्गदर्शन मांगा हैं और इसकी सूचना दी। जबकि पूरा घोटाला पत्र लिखने के एक साल पहले हुआ है, इससे स्पष्ट है कि साल भर लाखों की हेराफेरी की गई और प्रभारी बीएमओ को पता तक नहीं चला। कुल मिलाकर इन्हीं के मार्गदर्शन में बाबू घोटाले को अंजाम दे रहा था और प्रभारी बीएमओ, प्रभारी सीएमएचओ डॉ. दिनेश दहलवार के संरक्षण में इस घोटाले को अंजाम दे रहीं थीं, क्योंकि प्रभारी सीएमएचओ डॉ. दिनेश दहलवार सालों से जिला अस्पताल में पदस्थ हैं, इससे पूर्व सिविल सर्जन के पद पर रहे हैं। कुल मिलाकर डॉ. दिनेश दहलवार और प्रभारी बीएमओ के आपसी संबंध होने के चलते बचाया जा रहा था और इनती गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी उनका अटैचमेंट समाप्त नहीं किया जा रहा था। जबकि रिचा कटकवार की मूल पदस्थापा सीएमएचओ कार्यालय है और पिपरिया में 5 नियमित डाक्टर होने के बाद भी रिचा कटकवार को बीएमओ का प्रभार दिया गया है। जबकि मामला उजागर होने के बाद भी प्रभारी सीमएचओ डॉ. दिनेश दहलवार ने वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करते हुए इस मामले को ब्लाक स्तर का घोटाला बता कर जिला स्तर पर जांच करने के और जांच प्रतिवेदन में लीपापोती करके दबाने की फिराक में थे।

बता दें कि आशा प्रोत्साहन राशि पोर्टल के माध्यम से आवंटित की जाती है और भुगतान के पूर्व बीएमओ द्वारा समूचे दस्तावेजों की जांच की जाती है इसके बाद भुगतान किया जाता है। लेकिन इस मामले में प्रभारी बीएमओ घोटाले के बाद लिखे उस पत्र पर मामले से अपना पल्ला झाड़ रहीं हैं, जिसका कोई औचित्य ही नहीं हैं, क्योंकि भुगतान के पूर्व बीएमओ के मोबाइल पर ओटीपी आता है, थम्ब लगता है, तो बिना ओटीपी और थम्ब के बीसीएम कैसे पोर्टल पर भुगतान के पत्रक अपलोड कर सकता है और यदि कर भी दिये तो जिम्मेदारी बीएमओ की ही होती है।

एसडीएम द्वारा जांच की खबर लगते ही पिपरिया पहुंची जांच टीम :

आशा प्रोत्साहन राशि आवंटन मामला उजागर होने के आनन-फानन में प्रभारी सीएमएचओ डा. दिनेश दहलवार ने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दिये बिना ही जिला स्तर पर जांच टीम गठित कर दी। जबकि जांच टीम एक भी बार पिपरिया नहीं पहुंची और आफिसों में बैठकर जांच प्रतिवेदन तैयार कर लिया गया है, जिसमें एक बाबू को दोषी मानकर कार्यवाही की तैयारी की जा रही है। लेकिन गुरुवार को जब एसडीएम श्री टाले द्वारा मामले की जांच शुरू की गई तो समूचे विभाग में हड़कंप मच गया और तत्काल जिला अस्पताल के डीपीएम दीपक डेहरिया, डीएचओ नलिनी गोंड, गजेंद्र वर्मा, शैलेंद्र शुक्ला पिपरिया अस्पताल पहुंच गये। लेकिन अस्पताल में मौजूद एसडीएम श्री टाले एवं तहसीलदार ने पूरी जांच के दौरान जिला अस्पताल के दल को दूर रखा और किसी भी प्रकार के दस्तावेज भी नहीं दिये हैं।

इनका कहना :

कलेक्टर के निर्देश पर जांच शुरू की है। यह घोटाला पिछले साल अगस्त से इस साल अप्रैल तक का है, जिसमें 175 आशा कार्यकर्ताओं के खाते में यह घोटाला होना पाया गया है। लंबी कार्रवाई होने के कारण जांच में अभी कुछ कह पाना संभव नहीं है, कल शाम तक फाइनल रिपोर्ट दे दी जाएगी।

नितिन टाले, एसडीएम, पिपरिया

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