कमलनाथ ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
कमलनाथ ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपाRE-Bhopal

MP News: प्रदेश में बढ़ते आदिवासी, दलित उत्पीड़न को लेकर कमलनाथ ने सौंपा राज्यपाल को ज्ञापन

Kamalnath Memorandum to the Governor: राज्यपाल को सौंपे अपने ज्ञापन में पीसीसी ने बताया कि, BJP सरकार में आदिवासी उत्पीड़न के 30,000 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं।
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Kamalnath Memorandum to the Governor: भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाक़ात की एवं प्रदेश में आदिवासियों पर लगातार हो रहे अत्याचार के विरोध में ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकार पर निशाना साधा और राज्यपाल से तत्काल कार्रवाई के मांग की है। मध्यप्रदेश में सीधी, ग्वालियर, इंदौर से आदिवासी और दलित युवक को पीटने का वीडियो सामने आये थे इन्ही मुद्दों को लेकर आज कांग्रेस ने राज्यपाल से मुलाकात की।

कमलनाथ ने राज्यपाल को सौपे ज्ञापन में बताया कि, देखने में आ रहा हैं कि, 'भारतीय जनता पार्टी की 18 साल की सरकार में आदिवासी समुदाय के ऊपर अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भाजपा सरकार में आदिवासी उत्पीड़न के 30,000 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि इससे बड़ी संख्या ऐसे मामलों की है जो प्रकाश में नही आ सके। हाल ही में प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने की घटना सामने आई। मुख्य आरोपी भाजपा नेता था ओर भाजपा विधायक का विधायक प्रतिनिधि था। इस घटना से पूरे देश में मध्यप्रदेश शर्मसार हुआ है।'

कांग्रेस ने गिनाये पूर्व के मामले :

ज्ञापन में बताया कि, 'नीमच में आदिवासी युवक को गाड़ी से बांधकर घसीटकर हत्या करने का मामला पूरी दुनिया ने देखा। नेमावर में आदिवासी युवती और उसके परिवार के 5 लोगों को जिंदा गाड़ देने का भीषण कृत्य भी मध्यप्रदेश की माटी को देखना पड़ा। सीधी जिले में घटित हुई घटना के कुछ घंटों में ही इंदौर के महू से दो आदिवासी युवकों को बुरी तरह पीटे जाने का वीडियों भी सामने आया।'

आदिवासी समुदाय की पीड़ा, वंचना और संघर्ष को आप जैसा संवेदनशील व्यक्ति अच्छी तरह समझ सकता है। लेकिन हमारा दुखः तब और बढ़ जाता है जब आदिवासियों पर अत्याचार सत्ताधारी दल के नेताओं के द्वारा या उनके संरक्षण में किए जाते हैं।

शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने बताया कि, 'प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार का आदिवासी विरोधी रवैया इस बात से भी समझा जा सकता है कि आदिवासी कल्याण का बजट राजनीतिक स्वरूप की सरकारी रैलियों पर खर्च कर दिया जाता है । अनुसूचित जनजाति के लोग अपने लिए बनाए गए अजाक थानों में शिकायत कराते हैं, लेकिन उन थानों का बजट भी शासन ने स्वीकृत नहीं किया है। अगर अपराध सामने आता है तो सत्ताधारी लोग उसे दबाने में लग जाते हैं। इस तरह से मध्यप्रदेश की सरकार और राजनीतिक तंत्र एक ऐसा घृणा और अन्याय का वातावरण पैदा कर रहा हैं जिसमें आदिवासी समुदाय के प्रति अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं ।'

पूर्व मुख्यमंत्री ने राजयपाल से तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया है और कहा है कि, 'प्रदेश के संवैधानिक मुखिया होने के नाते आप इस मामले मे अपनी शक्तियों का प्रयोग करें और सरकार को आदिवासी अत्याचार रोकने के लिए आदेशित करें। आपका हस्तक्षेप इसलिए जरूरी है कि यह मामला आदिवासी समुदाय की स्वतंत्रता का है, सुरक्षा का है, सम्मान का है, मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठा का है और मानवता की रक्षा का है।'

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