MP News: सर्किल का प्रभार लेने से पहले वहां के अफसरों पर दबाव बना रहे IFS
भोपाल। मालवा अंचल के सर्किल में पदस्थ एक आईएफएस अधिकारी की कार्यशैली से अधिकारी और कर्मचारी ख़ौफज़दा हैं। इस आईएफएस अफसर का खौफ न केवल अपने सर्किल में है, बल्कि दूसरे सर्किल में पदस्थ अफसरों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। दिलचस्प पहलू यह है कि कैडर विरुद्ध पद पर पदस्थ अफसर दूसरे सर्किल का प्रभार मिलने की प्रत्याशा में अभी से अफसरों पर धमकाने लगे हैं। दूसरे सर्किल के अफसर को धमकाने का मामला वन मंत्री विजय शाह तक पहुंच गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मालवा क्षेत्र के एक सर्किल के मुखिया 13 जून से 21 जून तक अवकाश पर जा रहे हैं। उनके अवकाश के दौरान इस सर्किल का प्रभार 55 किलोमीटर दूर सर्किल में पदस्थ सबसे वरिष्ठ अधिकारी को दिया जा रहा है, जबकि नियमानुसार छुट्टी पर जाने वाले अफसर के सर्किल में ही पदस्थ सीनियर अधिकारी को सर्किल का प्रभार दिया जाना चाहिए। जिस अफसर को सर्किल का प्रभार दिया जाना चाहिए, उसके बैच के अफसर सर्किल के मुखिया बने बैठे हैं। दरअसल जंगल महकमे में प्रभार भी मैनेजमेंट के आधार पर ही दिए जाने की परंपरा शुरू हो गई है।
गौरतलब यह है कि सर्किल का प्रभार मिले बिना ही वरिष्ठ आईएफएस अफसर की धमकियां दूसरे सर्किल के आईएफएस अफसर को मिलने लगी है। सीनियर अफसर अपने जूनियर को धमकी देते है कि इसके खिलाफ चार्जशीट करो उसके खिलाफ कार्रवाई करो, नहीं तो फिर! भयजदा जूनियर आईएफएस अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारी को जानकारी दी और संरक्षण देने का आग्रह किया है। अब यह मामला वन मंत्री विजय शाह तक पहुंच गया है।
बिरादरी में भी उनकी छवि ठीक नहीं
दिलचस्प पहलू यह है कि कैडर विरुद्ध पद पर पदस्थ आईएफएस अफसर की छवि उनकी बिरादरी में भी ठीक नहीं है। जब उन्हें मुख्यालय से सर्किल में पदस्थ किया जा रहा था, तब एक वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी का कहना था कि मुख्यालय में डिस्टरबेंस ज्यादा करते थे, इसलिए उन्हें यहां से हटाया गया। अब स्थिति यह बन गई है कि जब उनकी मुख्यालय में या मुख्यालय के बाहर पदस्थापना के प्रस्ताव बनते हैं तो उनका विरोध शुरू हो जाता है। मसलन, उन्हें लैंड रिकॉर्ड में मंत्री नहीं लाना चाहते और फेडरेशन में उनका विरोध हो रहा है। सर्किल से उनका हटना तय है, लेकिन कब हटेंगे यह विचारणीय प्रश्न है।
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