राज्यपाल टंडन: हस्तशिल्प कला है हमारी विशिष्ट पहचान

हिन्दी भवन में आयोजित 'त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम' में प्रदेश के राज्यपाल ने हस्तशिल्प और हथकरघा को दुनियाभर में देश की विशिष्ट पहचान बताया। कारीगरों ने बनाए मिट्टी के बर्तन।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते राज्यपाल लालजी टंडन।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते राज्यपाल लालजी टंडन।जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश सरकार
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राज एक्सप्रेस। राजधानी भोपाल के हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया। त्रिस्तरीय पंचायत प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया।

राज्यपाल ने 10 अक्टूबर को राजधानी भोपाल के हिन्दी भवन में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रदेश सरकार के जनसम्पर्क विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये जानकारी दी।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा, 'पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रही है। हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा की दुनियाभर में विशिष्ट पहचान रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मशीनीकरण के दौर ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है। प्राचीन दौर में इन कलाओं के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को उनके गाँव में ही रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिल जाते थे।'

"तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिये कार्य करना चुनौतीपूर्ण है। भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास कर हम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं।"

लालजी टंडन, राज्यपाल (मध्यप्रदेश)

राज्यपाल ने ये भी कहा कि, 'देश की आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिये निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है।'

'त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम'
'त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम'जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश सरकार

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय डॉ. अम्बेडकर के सपनों और आदर्शों को केन्द्र में रखकर निरंतर कार्य कर रहा है।

"ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित करने के लिये पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिये जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।"

आशा शुक्ला, कुलपति (डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू)

प्रो. शुक्ला ने आगे ये भी बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में रायसेन, सीहोर और भोपाल जिले के कारीगरों और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने महू के पास 12 गाँव गोद लिये हैं, इन गाँवों में सामाजिक विकास के लिये जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

कार्यक्रम को साथिया वेलफेयर सोसायटी की निदेशक श्रीमती स्मृति शुक्ला और हस्तशिल्प विकास निगम के प्रतिनिधि श्री महेश गुलाटी ने भी संबोधित किया।

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