इंदौर, मध्यप्रदेश। मप्र में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं और मासूम बच्चियों के फॉरेंसिक में अटके छह हजार से अधिक के सैंपल अटके हैं। अदालत में चालान पेश हो गए हैं, उनमें रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण सुनवाई में विलंब हो रहा है। इसका असर पीड़ितों को मिलने वाले न्याय पर पड़ रहा है। पहले मात्र सागर में ही एक लैब थी लेकिन अब तो भोपाल के बाद इंदौर में भी सैंपल जांच का काम शुरू हो चुका है। इसके बाद भी हजारों सैपल फॉरेंसिक लैब में अटके हुए हैं। जानकारों का कहना है कि पहले तो सागर में एक ही लैब हुआ करती थी लेकिन अब तीन लैब शुरू होने के बाद भी फॉरेंसिक में हजारों मामले अटके है । इसके लिए सरकार को और लैब शुरू करना चाहिए जिससे रिपोर्ट जल्द मिल सके तो अदालत का काम भी तेजी से चले।
आरोप पत्र हो चुके हैं पेश :
अदालत में चालान पेश हो गए हैं, उनमें रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण सुनवाई रुकी हुई है। इसका सीधा असर पीड़ितों को मिलने वाले न्याय पर पड़ रहा है। बताते हैं कि मौजूदा समय में सिर्फ सागर की लैब में ही छह हजार से अधिक प्रकरण डीएनए जांच के बिना सुनवाई शुरू नहीं हो पा रही है।
प्रकरणों की जांच में भी देरी :
बहुत सारे गंभीर अपराधों को पुलिस अधिकारी चिन्हित अपराधों में शामिल कर लेते हैं। चिन्हित अपराधों की मानीटरिंग खुद आला अफसर करते हैं।
सरकार की भी रहती है नजर :
सरकार की भी उन प्रकरणों पर बारीक नजर रहती है। सामूहिक दुष्कर्म और बच्चियों के साथ होने वाले दुष्कर्म और हत्या के मामले में डीएनए जांच रिपोर्ट अहम सबूत का काम करती है।
फॉरेंसिक में अटके हजारों सैपल :
डीएनए की जांच रिपोर्ट में विलंब के कारण फॉरेंसिक में छह हजार से अधिक सैंपल अटके हैं।
लैब में वैज्ञानिकों की कमी :
चिन्हित प्रकरणों की जांच में भी देरी हो रही है, क्योंकि लैब में वैज्ञानिकों की भी कमी है।
इंदौर-भोपाल में भी खुल चुकी लैब :
पहले प्रदेश में एक मात्र लैब सागर में ही थी, सागर के बाद भोपाल, इंदौर में भी एक लैब खुल चुकी है लेकिन अभी तक विज्ञानिकों की कमी के कारण अभी भी हजारों मामलों में सैपल अटके पड़े हैं।
पहले केवल एक ही लैब थी :
वर्तमान में डीएनए जांच के लिए तीन लैब हो चुकी है जबकि पहले एक मात्र वैज्ञानिक प्रयोगशाला सागर में है। पूरे प्रदेश से डीएनए सैंपल जांच के लिए सागर की फॉरेंसिक लैब में भेजे जाते हैं। लैब की अपनी क्षमता है, इस कारण समय पर जांच नहीं हो पा रही है। इस कारण से रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल पा रही है। रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण पुलिस समय पर अदालत में चालान पेश नहीं कर पा रही है। जिन प्रकरणों में डीएनए जांच रिपोर्ट के बिना प्रकरणों की जांच में भी देरी
इनका कहना :
सैम्पलिंग ज्यादा होती है स्टॉफ उस हिसाब से कम है, जिस तरह से सैम्पलिंग की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से लैब और बढ़ाना चाहिए। पहले सागर में ही लैब थी अब भोपाल के बाद इंदौर में भी शुरू हो चुकी है। पहले ज्यादा समय सैम्पलिंग में लगता था अब उतना समय नहीं लगता फिर भी वर्क लोड रहता है, सैम्पलिग ज्यादा होती है इस हिसाब से स्टाफ भी बढ़ना चाहिए।
बीजी शर्मा, उपसंचालक, अभियोजन, इंदौर
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