भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी में एक हजार से अधिक स्कूलों को समय-सीमा के अंतर्गत मान्यता नवीनीकरण का प्रमाण नहीं मिल पाया है। जबकि इन स्कूलों के लिए मान्यता मिलते ही आरटीई में 25 फीसदी सीटों का निर्धारण होना है। इधर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का कहना है कि कार्य गति पर है। मौजूदा सप्ताह में ही यह कार्य विधिवत कंपलीट कर लिया जाएगा।
शासन के आदेशानुसार 31 मार्च तक मिडिल और प्रायमरी स्कूलों में मान्यता नवीनीकरण का कार्य होना था। इसके लिए पिछले माह बाकायदा आदेश भी जारी किये गये थे। राजधनी भोपाल में प्रायवेट स्कूलों की संख्या एक हजार से ज्यादा है। स्कूल संचालकों द्वारा आवेदन करने के बाद बीआरसीसी को मैदानी निरीक्षण रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अग्रेषित करनी थी। जानकारी है कि बीआरसीसी यह कार्य समय से नहीं कर पाये हैं। नतीजतन मान्यता का कार्य उलझ गया है। अब समयावधि निकलने के बाद मान्यता का कार्य नहीं होने के कारण स्कूल संचालकों के बीच अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया है। कारण है कि अगले महीने से स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ की जानी है।
13 अप्रैल तक होना हैं सीटें लाक :
विभाग के निर्देशानुसार 13 अप्रैल तक सभी प्रायवेट स्कूलों में आरटीई के तहत वंचित समूह वर्ग के गरीब बच्चों का प्रवेश कराने हुत सीटें लॉक की जानी हैं। इसके बाद 25 फीसदी प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ की जानी है। अब सीट लॉक तभी होंगी, जब प्रायवेट स्कूलों को मान्यता जारी हो जाएगी। एक समस्या यह भी है कि मान्यता के लिए जो ओटीपी संबंधित संस्था संचालक के मोबाइल पर जाता है। वह समय पर सिस्टम में नहीं आ पा रही है। मान्यता में विलंब का एक कारण यह भी है।
जनशिक्षकों से दूरियां भी देरी का कारण :
मान्यता में देरी का एक प्रमुख कारण यह भी है कि प्रायवेट स्कूलों के मौके पर भौतिक निरीक्षण में इस बार जनशिक्षकों का सहयोग नहीं लिया गया। जबकि जनशिक्षक कहते रहे कि जब उनसे मैदानी सभी कार्य करवाये जा रहे हैं तो आखिर मान्यता संबंधी काम से क्यों दूर रखा गया है। इनका आरोप है कि बीआरसीसी स्वयं मौके का निरीक्षण कर रहे हैं। हालांकि इस मामले में बीआरसीसी के भी तर्क हैं कि मौके का निरीक्षण करने का अधिकार उन्हीं को है। अगर कोई दिक्कत आती है तो जवाब भी बीआरसीसी को ही देना है।
इनका कहना :
प्रायवेट स्कूलों की मान्यता का कार्य लगातार चल रहा है। पूरी टीम इस कार्य में लगी हुई है। इसी सप्ताह में मान्यताएं जारी कर दी जाएंगी।
नितिन सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल
मिडिल-प्रायमरी स्कूलों की संख्या :
फंदा नया शहर : 420
फंदा पुराना शहर : 410
फंदा ग्रामीण : 150
बैरसिया : 200
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