मौसम के बदलाव से ओपीडी 500 के पार, 15 दिन में 8 हजार से अधिक मरीज सिविल अस्पताल पहुंचे

नहीं सुधर पा रही अस्पताल की व्यवस्थाएं, डॉक्टरों के समय पर ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, घरों में परामर्श शुल्क चुकाकर लेनी पड़ रहीं बाजार की दवाएं
डॉक्टरों के समय पर ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है
डॉक्टरों के समय पर ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा हैSocial Media
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नसरुल्लागंज, मध्यप्रदेश। लगातार मौसम में एकाएक बदलाव के चलते क्षेत्रवासी वायरल बीमारियों से ग्रषित होते चले आ रहे हैं। मौसम में कभी धूप तो कभी रिमझिम बारिश तो कभी उमस के चलते आम नागरिक बुखार, सर्दी-जुखाम, हाथ पैरों में दर्द से पीडि़त होता जा रहा है। जिसके चलते अस्पताल की ओपीडी मंगलवार को 500 के पार पहुंच गई। आलम यह हैं कि पिछले 15 दिनों में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित लगभग 8 हजार मरीज अपना इलाज कराने सिविल अस्पताल में पहुंच चुके हैं। लेकिन डॉक्टरों के समय पर ओपीडी में नहीं बैठने से मरीजों को या तो घंटों इंतजार करना पड़ रहा है या फिर डॉक्टरों के निवास पर पहुंचकर परामर्श शुल्क अदा कर इलाज कराना पड़ रहा है।

इतना होता तो भी ठीक घरों पर दिखाने से मरीजों को बाहर की जांचे व दवाएं भी खरीदना मजबूरी बन गया है। जबकि अस्पताल में ही 320 तरह की दवाएं औषधि भंडार में मौजूद हैं। मंगलवार को सुबह 10 बजे जब हमारे संवाददाता ने सिविल अस्पताल पहुंचकर देखा तो यहां मरीजों की लाईन लगी थी और ओपीडी में डॉक्टरों के पते नहीं थे। लगभग आधा दर्जन डॉक्टरों के चेंबर खाली पड़े थे और अस्पताल परिसर में ही निवास करने वाले कई विशेषज्ञ डॉक्टर अपने घरों में ही परामर्श शुल्क लेकर मरीजो का इलाज कर रहे थे। जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक का समय ओपीडी में डॉक्टरों के बैठने का है।

उल्लेखनीय है कि नगर में स्वास्थ्य व्यवस्था का ढर्रा दिनों दिन बिगड़ता ही जा रहा है। संसाधन ओर क्षेत्रफल बढऩे के बाद यहां मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं और शासन की ओर से दी जाने वाली योजनाओं का लाभ भी मरीजों को नहीं मिल रहा है। इसकी बानगी खुद नगर का सिविल अस्पताल बयां कर रहा है। जिन डॉक्टरों के कंधों पर अस्पताल की जिम्मेदारी है वह स्वंय घर में बैठकर ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं जिसका प्रभाव अब यहां पदस्थ दूसरे डॉक्टरों पर भी देखने को मिल रहा है।

स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सजग नहीं जिला प्रशासन:

मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी तहसील होने के बाद भी यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था पर जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी भी लगातार लापरवाह बने हुए हैं। पिछले दिनों जिलाधीश के द्वारा किये गए निरीक्षण के बाद जिम्मेदारों को निर्देशित किया गया था कि मरीजों को कोई समस्या नहीं आने दी जाए। सभी मरीजों का त्वरित उपचार किया जाये। बावजूद इसके जिलाधीश की नसीयत ताक पर रखी रह गई और अस्पताल में एक बार फिर डॉक्टरों की मनमानी का दौर शुरू हो गया।

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