बिजलीघरों की मांग के अनुरूप प्रचुर मात्रा में है कोयले की उपलब्धता : कोयला मंत्रालय

सिंगरौली, मध्यप्रदेश : बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका निराधार। इस साल कोयला आधारित बिजली उत्पादन में हुई 24% की वृद्धि।
बिजलीघरों की मांग के अनूरूप प्रचुर मात्रा में है  कोयले की उपलब्धता : कोयला मंत्रालय
बिजलीघरों की मांग के अनूरूप प्रचुर मात्रा में है कोयले की उपलब्धता : कोयला मंत्रालयसांकेतिक चित्र
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सिंगरौली, मध्यप्रदेश। भारी वर्षा के बावजूद कोल इंडिया ने की बिजली क्षेत्र को 225 मिलियन टन से अधिक कोयले की आपूर्ति। भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि बिजली संयंत्रों की मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त कोयला की उपलब्धता है और बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका पूरी तरह निराधार है।

बिजली संयंत्रों के पास लगभग 72 लाख टन कोयले का स्टॉक, जो 4 दिनों की आवश्यकता के लिए पर्याप्त है और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पास 400 लाख टन से अधिक का कोल स्टॉक है, जिससे बिजली संयंत्रों को निर्बाध कोयला आपूर्ति की जा रही है।

कोयला कंपनियों से निरंतर आपूर्ति के वजह से इस वर्ष (सितंबर 2021 तक) घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादन में लगभग 24% की वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष भारी मानसून के कारण प्रेषण कुछ बाधित हुआ था लेकिन बिजलीघरों में कोयले का एक रोलिंग स्टॉक होता है जिसकी भरपाई कोयला कंपनियां दैनिक आधार पर कोयला आपूर्ति कर करती रहती है, इसलिए बिजली संयंत्र के पास कोयले के स्टॉक के घटने का डर गलत है। साथ ही, इस वर्ष कोयला मंत्रालय ने घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि करने हेतु आयात प्रतिस्थापन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है।

इस वर्ष कोयला क्षेत्रों में भारी बारिश के बावजूद, सीआईएल ने बिजली घरों को 255 मिलियन टन से अधिक कोयले की आपूर्ति की है जो सीआईएल द्वारा किसी भी वित्त वर्ष की प्रथम छ्माही में किया गया सर्वाधिक कोयला प्रेषण है।

हाल ही में सीआईएल, बिजली क्षेत्र को प्रति दिन 14 लाख टन कोयला दे रही थी जिसे बढ़ाकर 15 लाख टन कर दिया गया है और अक्टूबर 2021 के अंत तक 16 लाख टन प्रति दिन तक बढ़ाने की संभावना है।

भारी मानसून, कोयला आयात में कमी और देश में आर्थिक सुधार के कारण बिजली की मांग में भारी वृद्धि हुई है, जिसके बावजूद घरेलू कोयले की आपूर्ति से बिजली घरों ने भरपूर बिजली उत्पादन किया है। चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया का प्रेषण रिकॉर्ड स्तर पर रहने की उम्मीद है।

कोयले की उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण, आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्रों ने पीपीए (पावर परचेस एग्रीमंट) से निर्धारित लगभग 30% कम बिजली की आपूर्ति की है । जबकि घरेलू कोयला आधारित बिजली घरों ने इस वर्ष की पहली छमाही में लगभग 24% ज्यादा आपूर्ति की है। आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों ने निर्धारित 45.7 बीयू के मुकाबले लगभग 25.6 बीयू ही बिजली का उत्पादन किया है।

कोल इंडिया, एल्युमिनियम, सीमेंट, स्टील आदि जैसे गैर-विद्युत उद्योगों की मांग को भी पूरा करने के लिए प्रतिदिन 2.5 लाख टन (लगभग) से अधिक की आपूर्ति कर रही है। एनसीएल ने भी चालू वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में विगत वर्ष तुलना में लगभग 15 प्रतिशत से आधिक कोयले का प्रेषण किया है। गौरतलब है कि एनसीएल अपने कोयला का आधिकतर हिस्सा बिजली घरों को देता है।

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