मेडिकल विश्वविद्यालय ने आयुर्वेद डॉक्टरों की परीक्षा के लिए अयोग्य स्टाफ नर्स रजनी नायर को बनाया पर्यवेक्षक
हाइलाइट्स
एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर उठाया सवाल।
एनएसयूआई की कुलपति से रजनी नायर को हटाने की मांग।
विवि द्वारा अयोग्य विवादित रजनी नायर को पर्यवेक्षक बनाना संदेहास्पद।
भोपाल। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अपने काले कारनामों और भ्रष्टाचार के चलते सुर्खियों में बना रहता हैं। विश्वविद्यालय एक बार फिर से अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में है। विवि प्रशासन ने विवादित एवं कार्य क्षमताहीन स्टाफ नर्स रजनी नायर को आयुर्वेद की परीक्षा के लिए पर्यवेक्षक बनाया है। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है।
एनएसयूआई मेडिकल विंग के प्रदेश समन्वयक रवि परमार ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर अयोग्य कार्यक्षमताहीन एवं विवादित स्टाफ नर्स को तत्काल हटाने की मांग करते हुए विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया हैं। परमार ने पूछा कि क्या मध्यप्रदेश के आयुर्वेद कालेजों में योग्य प्राध्यापक नहीं हैं क्या जों एक अयोग्य नर्सिंग स्टाफ जिनकों आयुर्वेद का ज्ञान तक नहीं हैं उनको आयुर्वेद की परीक्षा का पर्यवेक्षण बनाना विश्वविद्यालय के अधिकारियों की कार्यक्षमता का स्तर दर्शाता है।
रवि परमार ने बताया कि, कुछ समय पहले हमीदिया नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं ने तत्कालीन उप प्राचार्य रजनी नायर के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन में 131 शिकायतें की थी। वहीं हमीदिया नर्सिंग कॉलेज की सभी छात्राओं ने रजनी नायर के खिलाफ 3 दिन तक लगातार विरोध प्रदर्शन किया था। उसके बाद रजनी नायर को उप प्राचार्य के पद पर हटाया दिया गया था लेकिन छात्राएं मुकदमा दर्ज करवाने की मांग पर आखरी तक अड़ी रहीं उसके बाद उन्हें नर्सिंग कालेज से हटाकर उनकी मूल पदस्थापना हमीदिया अस्पताल में स्टाफ नर्स में कर अस्थाई रूप से नर्सिंग कॉलेज में प्राध्यापक के लिए रखा गया है लेकिन विवि द्वारा अयोग्य विवादित रजनी नायर को पर्यवेक्षक बनाना संदेहास्पद हैं।
रवि परमार ने कुलपति से मांग करते हुए कहा कि, अयोग्य विवादित एवं कार्यक्षमताहीन पर्यवेक्षक रजनी नायर को तत्काल कार्यमुक्त कर ब्लैकलिस्ट करें और आयुर्वेद कालेज के किसी योग्य प्राध्यापक को पर्यवेक्षक का कार्य सौंपे अन्यथा एनएसयूआई चरणबद्ध आंदोलन करेगी। परमार ने पूछा कि कुलपति और स्टाफ नर्स रजनी नायर में आखिर क्या सांठ गांठ है जो उन्हें पर्यवेक्षक बनाया गया।
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