खंडवा में माता तुलजा भवानी के मंदिर की महिमा है बेहद खास
खंडवा में माता तुलजा भवानी के मंदिर की महिमा है बेहद खासSocial Media

नवरात्रि पर्व में जरूर जानें खंडवा में स्थित माता तुलजा भवानी मंदिर की महिमा, जो है बेहद खास

नवरात्रि पर्व की धर्मयात्रा के इस दौर में मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में 52 शक्तिपीठों में से एक माता तुलजा भवानी का मंदिर है, यहां भगवान राम ने साधना की थी, जानें क्‍या है मंदिरका इतिहास और मान्‍यता...
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खंडवा, मध्य प्रदेश। इन दिनों नवरात्रि के पर्व चल रहे है, ऐसे में देवी मां के भक्‍त कई देवियों के दर्शन को जा रहे है और माता के मंदिरों में नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। अब आज नवरात्रि के छठवें दिन पर धर्मयात्रा के इस दौर में एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी अवगत करा रहे है, यहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान पूजा-पाठ कर शक्ति की साधना की थी और यह विशेष मंदिर कहीं दूर नहीं बल्कि मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा शहर में ही स्थित है। यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है, जिसे 52 शक्तिपीठों में से एक बताया जाता है।

तुलजा भवानी मंदिर में देवी दुर्गा का ही एक रूप :

खंडवा शहर के दक्षिण-पश्चिमी दिशा में स्थित तुलजा भवानी मंदिर में देवी दुर्गा का ही एक रूप हैं, जिसे देश भर में अपनी महत्ता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के अंदर आने वाले भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह मंदिर बनाया गया है। मंदिर के बाहर से ही इसकी विशालता नजर आती है, जो अपनी स्वर्ण शिखरों और महाद्वार से इस्तान्बुल की मस्जिद की याद दिलाती है।

कुछ इस तरह है मंदिर का इतिहास और मान्‍यता :

कई मंदिरों का अपना एक अलग ही इतिहास और मान्‍यता होती है। इसी तरह तुलजा भवानी माता मंदिर को हजारों वर्ष पहले यानी त्रेतायुग के रामायण काल और द्वापर युग के महाभारत जैसे युद्धों का साक्षी बताया जाता है।

तो वहीं, पौराणिक मान्यता की बात करें तो इस मंदिर में भगवान श्रीराम ने खांडव वनों में अपने वनवास के दौरान समय बिताया था, तब उन्‍होंने इस शक्ति स्थल पर भवानी माता की तपस्या, अराधना कर देवी मां से दिव्य अस्त्र-शस्त्र का वरदान प्राप्त कर, रावण की लंका के लिए बढ़े थे।

शक्तिपीठ मंदिर का सबसे खास और बड़ा प्रमाण :

कहा जाता है कि, तुलजा भवानी माता मंदिर में विराजमान देवी मां की प्रतिमा स्वयं ही इस स्थान पर प्रकट हुई थी। इस शक्तिपीठ मंदिर का सबसे खास और बड़ा प्रमाण तो यह बताया जाता है कि, मंदिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा के ठीक नीचे की शीला पर तांत्रिक महत्व की चैसठ योगिनी की प्रतिमा है, कुछ लोग इसे एक सिद्धपीठ मंदिर मानते हैं।

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