सिंगरौली और सोनभद्र जिले के कई कारखानो पर लगा करोड़ो का जुर्माना

सिंगरौली, मध्यप्रदेश: सिंगरौली परिक्षेत्र (सोनभद्र, उ.प्र व सिंगरौली, म.प्र) में व्याप्त प्रदूषण के लिए जिम्मेदार औद्योगिक इकाईयों व कोयला खदानों पर लगा करोड़ो का जुर्माना
सिंगरौली और सोनभद्र जिले के कई कारखानो पर लगा करोड़ो का जुर्माना
सिंगरौली और सोनभद्र जिले के कई कारखानो पर लगा करोड़ो का जुर्मानाShashikant Kushwaha
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राज एक्सप्रेस। सिंगरौली परिक्षेत्र (सोनभद्र, उ.प्र व सिंगरौली, म.प्र) में व्याप्त प्रदूषण के लिए जिम्मेदार औद्योगिक इकाईयों व कोयला खदानों पर एनजीटी मुख्य पीठ नई दिल्ली द्वारा पर्यावरण को क्षति पहुॅंचाने का दोषी मानते हुए, 78 करोड़ 32 लाख 7 हजार रूपये जुर्माना वसूलने का आदेश।

क्या है मामला :

ओ ए नं 453/2019 (अंजनी जायसवाल बनाम यूनियन आफ इण्डिया एवं अन्य) में पारित आदेश दिनांक 24.5.2019 के अनुक्रम में गठित कमेटी (उ.प्र व म.प्र) के रिपोर्ट के आधार पर दिनांक 11.10.2019 को पारित किया। उक्त याचिका ग्राम मुहेर जनपद सिंगरौली निवासी अंजनी जायसवाल ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली में दाखिल किया था। राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के निर्देश पर उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण सोनभद्र के अनुसार सम्बन्धित परियोजनाओं को जुर्माने की राशि वसूलने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया गया है।

यह पहली बार है कि, प्रदूषण फैलाने वाली परियोजनाओं पर एनजीटी ने सख्त रूख़ अपनाते हुए लगभग 79 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता अंजनी जायसवाल ने यह कहा है कि, इस आदेश से पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं है तथा अपने अधिवक्ता के माध्यम से आवश्यक विधिक कार्यवाही अमल में लायेंगे। उनके मुताबिक, परियोजनाओं पर लगने वाली जुर्माने की राशि पर्याप्त नहीं है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौबे का मामले में कहना है कि, यह याचिका क्षेत्र में व्याप्त प्रदूषण से होने वाली पर्यावरणीय क्षति विशेषकर रिहन्द जलासय, सोन, रेणू, बिजुल, कनहर, गोपद, पांगन, कठौता, काचन आदि नदी व बलिया नाला, चटका नाला, कहुआ नाला, टिप्पा झरिया, डोंगिया नाला समेत अन्य जल स्रोतों व भू-जलाशय के विषक्त होने के संदर्भ में सम्बन्धित जिम्मेदार परियोजनाओं व अधिकारियों से सेक्शन 15 एनजीटी एक्ट, वाटर प्रिवेन्षन एवं कन्ट्रोल एक्ट, 1974 व इनवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 के प्रावधानों के तहत मुआवजा वसूलने के संबंध में दाखिल की गयी थी।

जिसके क्रम में दिनांक 24.5.2019 को लम्बी सुनवाई के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली ने आदेश पारित करते हुए मुआवजे के निर्धारण हेतु पर्यावरण मंत्रालय, सीपीसीबी उ.प्र प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड व मध्यप्रदेष प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड की एक जाॅंच कमेटी गठित की गयी थी जिसने दिनांक 11.10.2019 को अपनी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जिस पर न्यायालय ने रिपोर्ट के आधार पर परियोजनाओं प्रमुख विद्युत ताप गृह व नार्दल कोलफील्ड लि. की विभिन्न खदानों पर लगभग 79 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की राषि को 60-40 के अनुपात में सीपीसीबी व प्रदेश प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड को वसूल कर पर्यावणीय क्षति के लिए खर्च करने का आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया :

इस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटिसन फाइल करेंगे, क्योंकि मूल याचिका में सिंगरौली परिक्षेत्र में स्थित थर्मल पावर प्लांट्स, एल्यूमीनियम प्लांट, केमिकल प्लांट व कोयला खदानों से रिहन्द जलाषय समेत अन्य जल स्रोतों व भू-जल को जहरीला व प्रदूशित करने के जिम्मेदार होने के नाते पर्यावणीय क्षति के संबंध में मुआवजे की राषि वसूलने हेतु दाखिल की गयी थी परन्तु मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश क्षेत्राधिकार की गठित कमेटियों ने प्राइवेट कई बड़ी एल्यूमीनियम व केमिकल कम्पनियों पर प्रदूषण कारित करने की जिम्मेदारी नहीं तय की जिसको रिव्यू के माध्यम से सक्षम न्यायालय के समक्ष उठाया जायेगा।

कहाँ और कितना प्रदूषण

विदित हो कि, राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के आदेश के अनुक्रम में गठित विभिन्न कमेटियों ने अपनी विस्तृत जाॅंच रिपोर्टों में हिण्डाल्को इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, रेनूकूट, ग्रासिम केमिकल व अन्य को रिहन्द जलाशय तथा अन्य जल स्रोतों को ज़हरीला करने का ज़िम्मेदार पाया था तथा जलाशय के जीर्णोद्धार में लगभग 10000 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई थी। न्यायालय का उक्त आदेश स्वागत योग्य भी है, क्योंकि इससे प्रदूषण से कराह रहे, सिंगरौली परिक्षेत्र के लोगों ने एक आशा व विश्वास का संचार हुआ है कि आने वाले समय में लोग ज़हरीले वातावरण को समाप्त करने में कामयाब होंगे। किस पर कितना जुर्माना एनसीएल की विभिन्न कोयला खदानों पर 35 करोड़ रूपये, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि पर 12.2 करोड़, एनटीपीसी की परियोजनाओं पर 4.9 करोड़, रिलायन्स पर 3.7 करोड़, लैन्को पावर लि. पर 2 लाख रूपये व एस्सार पावर लि पर 30000 रूपये का जुर्माना तय किया गया है।

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