राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) ने लॉक डाउन के दौरान ही संविदा सहायक प्राध्यापकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार 8 सालों से काम कर रहे संविदा सहायक प्राध्यापकों की सेवाओं को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने समाप्त कर दिया है। कोरोना काल के इस संकट के दौर में बाहर का रास्ता दिखाए जाने से नाराज संविदा सहायक प्राध्यापकों ने ट्विटर पर कैंपेन की शुरुआत की है।
बता दें कि लॉक डाउन के दौरान 15 मई को अचानक से आदेश जारी किया गया, जिसमें 85 संविदा सहायक प्राध्यापकों को एक महीने का ब्रेक देने की बात कही गई है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि अभी एक महीने कोई काम नहीं होने के चलते आप सभी को ब्रेक किया जा रहा है। 16 जून से आप सभी को रखने की अनुशंसा की जाएगी। बाहर का रास्ता दिखाए जाने से संविदा सहायक प्राध्यापक बेहद नाराज हैं और अभियान के जरिए विश्वविद्यालय प्रबंधन से वापसी को लेकर आंदोलन की शुरुआत भी की है।
सहायक प्राध्यापकों ने विरोध में ट्विटर पर एक कैंपेन की शुरुआत की है, जिसमें पीएम मोदी को भी ट्विटर के जरिए लॉक डाउन के बीच में आरजीपीवी में कार्यरत संविदा प्राध्यापकों को बाहर करने की बात पहुंचाई जा रही है। इस पर प्रांतीय तकनीकी अतिथि एवं संविदा प्राध्यापक कल्याण संघ के जिला अध्यक्ष आशीष भट्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लॉक डाउन के दौरान किसी की नौकरी नहीं जाएगी। आरजीपीवी प्रबंधन ने पीएम मोदी और श्रम मंत्रालय के कानूनों का उल्लंघन करके लॉक डाउन के इस दौर में संविदा सहायक प्राध्यापकों को नौकरी से बाहर कर दिया है।
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