Madhya Pradesh : यथावत ही रह गई टेंशन, बजट में कर्मचारियों को नहीं मिली फुल पेंशन
भोपाल, मध्यप्रदेश। सर्वहारा वर्ग के लिए पारित किये गये केन्द्र सरकार के बजट को प्रदेश के शासकीय सेवकों ने सराहा है तो एक पीड़ा भी उनके मन में बनी रह गई है। कर्मचारियों का कहना है कि बजट में सभी वर्गों का ध्यान रखा गया, लेकिन शासकीय सेवकों के लिए कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। वर्ष 2004 में बंद की गई पुरानी पेंशन की शुरूआत की उम्मीद थी तो टैक्स स्लैब बढ़ाने की संभावनाएं थीं। इन दोनों ही मांगों को बजट में शामिल नहीं किया गया है।
कर्मचारियों के टैक्स भरने में नहीं हुआ परिवर्तन : सिसौदिया
मप्र राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विश्वजीत सिंह सिसौदिया का कहना है कि बजट में सभी वगों का ख्याल रखा गया। एनपीएस में छूट का दायरा 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया गया है। यह कदम भी स्वागत योग्य है। जबकि कर्मचारियों के लिए टैक्स भरने में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। न ही पुरानी पेंशन के प्रति कोई ध्यान दिया गया है।
घोषणा के मुताबिक सेवकों को नहीं राहत : पटेल
अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक भुवनेश पटेल का कहना है कि शासकीय सेवकों के लिए जो घोषणाएं की गई हैं। उसके मुताबिक उन्हें कोई लाभ बजट में नहीं दिख रहा है। सरकारी सेक्टर इसी उम्मीद में था कि आयकर की दरों में परिवर्तन होगा, लेकिन यह स्थिति की ज्यों की त्यों बनी रह गई है।
सेवकों के लिए कोई रास्ता निकालना होगा : नीलू
मप्र निगम मंडल अधिकारी कर्मचारी महासंघके प्रदेश अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव नीलू का कहना है कि सरकार को शासकीय सेवकों की आर्थिक प्रगति का कोई रास्ता निकालना होगा। उसे वह सभी छूट प्रदान होना चाहिए, जिससे उसके परिवार का भरण-पोषण जुड़ा हुआ है।
आयकर में छूट सेवकों की सबसे बड़ी पूंजी : श्रवण
मप्र अजाक्स संघ के प्रांतीय प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण का कहना है कि आयकर में छूट शासकीय सेवकों की सबसे बड़ी पूंजी होती है। क्योंकि अगर इससे छूट मिलती है तो वह पूंजी बचाकर कर्मचारी कुछ खरीद सकता है। बड़ी उम्मीद थी, लेकिन बजट में कोई छूट प्रदान नहीं की गई है।
पेंशनरों को बजट से थी अनेक उम्मीदें : परसाई
ईपीएफ-95 के राष्ट्रीय महासचिव चन्द्रशेखर परसाई का कहना है कि शासकीय सेवकों के साथ-साथ रिटायर्ड कर्मचारियों को बजट से बड़ी उम्मीदें थीं। लंबे समय से यह मांग भी केन्द्र एवं राज्य सरकार से की जा रही थी कि आयकर में छूट प्रदान की जाए। इसके लिए सिर्फ अश्वासन भर मिलते रहे हैं। ईपीएफ पेंशन में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
शिक्षकों की प्रगति पर देना था ध्यान : शर्मा
मप्र सहायक शिक्षक संयुक्त मोर्चा के संयोजक सुभाष शर्मा का कहना है कि शिक्षा जैसे सेक्टर में खासकर टीचरों की समस्याओं पर ध्यान देना बेहद आवश्यक था। मप्र सहित अन्य राज्यों में प्रमोशन बाधित हैं। अन्य सुविधाओं से भी केन्द्रीय विद्यालयों से लेकर राज्य सरकारों के स्कूलों के शिक्षक वंचित हैं।
फुल पेंशन की थी पूरी उम्मीद : अनिल
इधर आईटीआई अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि इस बजट में प्रदेश सहित अन्य राज्यों के अधिकारी और कर्मचारियों को फुल पेंशन का लाभ मिलने की संभावनाएं थीं। क्योंकि इसके लिए निरंतर पत्र भी भारत सरकार को लिखे गये, पर ऐसा नहीं हो पाया है।
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