अब सीधे अकाउंट में जाएगा पैक्स कर्मचारियों का वेतन
भोपाल, मध्यप्रदेश। जिस सहकारिता विभाग के कंधों पर किसान एवं जन कल्याण के साथ सर्वहारा वर्ग के उत्थान का दायित्व टिका है। उस विभाग ने अपने मैदानी अल्प पगार लेने वाले कर्मचारियों की मानदेय व्यवस्था में परिवर्तन कर बड़ी ऐतिहासिक सौगात दी है। मध्यप्रदेश गठन के बाद से चले आ रहे इस सिस्टम में बदलाव किया गया है। अब पैक्स कर्मचारियों का वेतन कमेटी के ठहराव प्रस्ताव की अनुशंसा के बजाए सीधे अकाउंट में आएगा।
मप्र की 23 हजार ग्राम पंचायतों में संचालित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति यानी पैक्स में कार्यरत इन कर्मचारियों का दर्द सरकार ने नजदीकी से जाना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिलों के दौरे पर जहां लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई की है तो वहीं निष्ठा से जनकल्याण कार्यों में लगे पैक्स सेवकों की उन्नति के रास्ते खोलने का भी काम किया है। मुख्यमंत्री की सहमति पर सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने पैक्स समितियों में कार्यरत 55,000 कर्मचारियों को ऐतिहासिक सौगात दी है। अब इन कर्मचारियों को सोसायटियों में गठित कमेटियों द्वारा ठहराव प्रस्ताव की अनुशंसा की बजाए वेतन सीधे खातों में दिया जाएगा। पिछले दो दिनों से भोपाल में डेरा डाले सहकारिता कर्मचारियों के साथ बैठक में मंत्री ने आला अधिकारियों को निर्देश दिए तो कार्य भी तत्काल प्रारंभ हुआ है।
वेतन के लिए ओवरड्राफ्ट किया जाएगा स्वीकृत :
सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया द्वारा निर्देश के बाद आला अधिकारियों ने आनन-फानन में नई व्यवस्था की प्रारंभ है। इस सुविधा के तहत पैक्स कर्मचारियों के लिए नियमित वेतन इसी माह से दिया अकाउंट में जावेगा। जिन समितियों में वेतन भुगतान हेतु राशि नहीं हैं। उन समितियों को बैंक द्वारा ओवरड्राफ्ट स्वीकृत कर वेतन भुगतान किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इसका ब्याज अपेक्स बैंक देगा। वेतन भुगतान हेतु अलग से एक अकाउंट ( खाता ) होगा। जिससे अन्य व्यय नहीं होगा। संस्था व्यवसाय का मार्जन निर्धारित होगा। जिसमें से 70 प्रतिशत वेतन के लिए निर्धारित होगा।
शुरुआती ठहराव व्यवस्था में थी अनेक बाधाएं :
मप्र गठन के बाद से किसान कल्याण एवं सर्वहारा वर्ग के उत्थान की दिशा में सरकारी आदेशों का पालन कर रहे इन कर्मचारियों के वेतन भुगतान में अनेक बाधाएं थी। कारण है कि समितियों में गांव के चलानिया यानी दबंग एवं सामंती प्रवृत्ति के लोगों को ही कमेटी में शामिल किया जाता रहा है। इसी कमेटी की अनुशंसा पर कर्मचारियों का वेतन तय होता था। ग्रामीण राजनीति के अनुसार यदि कमेटी में किसी सदस्य की कोई कर्मचारी से आपसी रंजिश है तो उसको वेतन मिल पाना संभव नहीं हो पाता था। यही कारण है कि प्रदेश में अनेक कर्मचारियों का वेतन 2 से लेकर 3 साल से अटका हुआ है। सरकार ने जमीनी अध्ययन के बाद इस सच को जाना है। नतीजतन वेतन के भुगतान व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है।
प्रबंधक और विक्रेता से लेकर चौकीदार का डबल वेतन :
आजादी के बाद यानी पिछले 70 सालों में राज्य सरकार ने दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में कार्यरत इन कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था में जो निर्णय लिया। वह देश में एक नजीर बन कर सामने आया है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में कार्यरत प्रबंधक से लेकर विक्रेता व्रत चौकीदार का वेतन अब दोगुना होगा। संचार क्रांति के बाद इन समितियों में कंप्यूटर ऑपरेटर भी रखे गए। उनकी वर्ष में तीन बार वेतन व्यवस्था में भी सुधार किया गया है। सरकार की सहमति के बाद मंत्री द्वारा जो निर्णय लिया गया। उसके अनुसार इन गरीब कर्मचारियों को अब सरकारी विभागों पदस्थ नियमित शासकीय सेवकों की तरह वेतन का भुगतान किया जाएगा।
फैक्ट फाइल :
जिला--52
पंचायत--23,000
कर्मचारी--5,50,000
प्रबंधक का वेतन--8000
विक्रेता--6000
चपरासी--4000
चौकीदार--4000
इनका कहना :
पैक्स कर्मचारियों का अब वेतन प्रतिमाह अकाउंट में जाएगा। इसके लिए निर्णय विभाग द्वारा लिया गया है। कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन प्राप्त हो। इसकी भी विभाग द्वारा व्यवस्था की गई है।
अरविंद सिंह सेंगर, सहायक उपायुक्त, सहकारिता विभाग
हम वर्ष 2003 से यह लड़ाई अनवरत रूप से लड़ रहे हैं। हमारी यही मांग थी कि हमारे साथी कर्मचारियों को प्रतिमाह समय से वेतन मिले। उनका वेतन अन्य विभागों की तरह खाते में जाए। विभाग ने हमारी इस मांग को स्वीकार किया है।
बीएस चौहान, प्रांत अध्यक्ष, मप्र सरकार का समिति कर्मचारी महासंघ
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