कई मेडल जीत चुके ऐहतेराम को मदद की दरकार
कई मेडल जीत चुके ऐहतेराम को मदद की दरकारRaj Express

आर्थिक तंगी से जूझ रहा जूडो का नेशनल खिलाड़ी, कई मेडल जीत चुके ऐहतेराम को मदद की दरकार

ऐहतेराम नकवी इंडिया के लिए जूडो में पहले सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। इन्हें कुछ देशों में चैंपियनशिप खेलने जाना है, लेकिन इनकें हालात ऐसे नहीं है कि वहां के टिकट और रहने खाने की व्यवस्था कर पाएं।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। किसी भी अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धा में हमारे खिलाड़ी गोल्ड मैडल जीतें यह हम सबकी इच्छा होती है, लेकिन जब बात इन खिलाड़ियों की तैयारी और मदद की आती है, तो सरकार और समाज का उपेक्षापूर्ण रवैया एक अलग ही दुखद पहलू का उजागर करता है। राजधानी के ऐहतराम नकवी एक बेहतरीन जूडो खिलाड़ी हैं, लेकिन 2019 में कॉमनवेल्थ जूडो चैम्पियनशिप में सिल्वर मैडल जीतेने वाला शहर का यह युवा जूडो खिलाड़ी लगातार सरकारी तंत्र और समाज की उपेक्षा का शिकार होकर आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, इस वजह से ना तो उसे प्रॉपर ट्रेनिंग मिल पा रही है और ना ही वह अपने प्रदर्शन को और बेहतर कर पा रहा है। 2017 से उन्हें जूडो का जुनून पैदा हुआ। तब राजधानी के आईपीएस दंपत्ति ने उनकी शुरूआती ट्रेनिंग में काफी मदद भी की। 26 साल के ऐतहराम अब तक कई प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं, लेकिन इस सबके बाद भी उन्हें सरकारी स्तर से कोई मदद या बढ़ावा नहीं मिला। जिसकी वजह से जूडो के एक नेशनल खिलाड़ी की खेल प्रतिभा आर्थिक तंगी के बीच दम तोड़ती नजर आ रही है।

घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिले अफसर :

अपनी व्यथा सुनाते हुए ऐहतेराम कहते हैं, कि सिल्वर मैडल जीतने के बाद मैंने मदद के लिए सरकार और खेल विभाग के अफसरों से मिलने की कोशिश की, इसके लिए उनके कैबिन के बाहर घंटों इतंजार किया, लेकिन मुझसे कोई अफसर नहीं मिला। मैंने सरकारी स्तर पर मदद के लिए कई बार गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप के लिए भी वे कर्ज लेकर पहुंच पाए थे।

24 को कजाकिस्तान जाना है, ड्रेस तक नहीं है :

ऐतहरात का बेटा दिव्यांग है, परिवार चलाने के लिए उन्हें भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है, वह बताते हैं, किसी तरह परिवार का गुजारा हो पा रहा है, ठीक से ट्रेनिंग भी नहीं हो पाती। अभी कजाकिस्तान में प्रतियोगिता है। वहां के लिए 13 मई से लखनऊ में नेशनल कैंप होने वाला है, फिर 24 को कजाकिस्तान के लिए निकलना है, लेकिन मेरे पास ना तो किराये के लिए पैसे हैं, ना ही चैपिंयनशिप में शामिल होने के लिए ड्रेस।

इनका कहना है :

मैं देश के लिए बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करना चाहता हूँ, लेकिन मेरे पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, फायनेंशियली परेशानी है। कई बार सरकार से मदद मांगी लेकिन 1 रूपये की भी मदद नहीं मिली। अगर सुविधा मिले तो हम और बेहतर कर सकते हैं। लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है।

ऐहतराम नकवी, नेशनल जूडो खिलाड़ी

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