नवीं से बारहवीं में पढ़ने वाले लाखों विद्यार्थियों को पुस्तकों की दरकार
भोपाल, मध्यप्रदेश। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा लगातार पत्राचार और संवाद करने के बाद भी लाखों विद्यार्थियों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। जबकि इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय निरंतर पत्राचार के साथ ही पाठ्य पुस्तक निगम के अफसरों से संवाद भी कर रहा है। संचालनालय ने तर्क भी रखे कि नियम के अनुसार मई में ही किताबों की उपलब्धता हो जानी चाहिए थी। फिर आखिर इतनी देरी क्यों हो गई है।
पुस्तक प्रकाशन में विलंब को लेकर हाल ही में लोक शिक्षण संचालनालय ने पाठ्य पुस्तक निगम को फिर पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि सत्र का आधा माह निकलने को है। अभी स्कूलों में मात्र 70 फीसदी किताबें ही पहुंच पाई है। जबकि नियम के अनुसार मई माह के अंत तक ही समस्त विद्यालयों में पुस्तकों को पहुंचाना अनिवार्य था। पुस्तकों की उपलब्धता इसलिए जरूरी थी, ताकि जब 15 जून से स्कूलों का संचालन हो तो प्रत्येक बच्चे के हाथ में किताब दी जा सके। लोक शिक्षण संचालनालय में अधिकारियों का कहना है कि पहले भी लगातार निगम को पत्र लिखे गये। उसके बाद भी पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा समय से किताबों का प्रकाशन नहीं करवाया गया। जिसके कारण इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हुई है। अनेक संभागों के जेडी भी पुस्तक निगम को पत्र लिख चुके हैं। कुछ ने तो निगम के कार्यालय पहुंच कर भी समस्या और शिकायत दोनों दर्ज करवाई है। उसके बाद भी पुस्तकें समय पर बच्चों को उपलब्ध नहीं हो पाई है।
सीएम राइज स्कूलों में भी नहीं दी किताबें :
अब जानकारी है कि इस देरी को लेकर लोक शिक्षण संचालनालय ने फिर से पाठ्य पुस्तक निगम को पत्र लिखा है। संचालनालय ने नाराजगी भी जताई है कि सीएम राइज से लेकर अन्य समस्त विद्यालय खुल चुके हैं। पहले भी निगम को सूचित किया गया था कि शासन की मंशा के अनुसार समय पर पुस्तकों का प्रकाशन करवाना होगा। ताकि सत्र के पहले दिन से ही बच्चे किताबों से पढ़ाई कर सकें। उसके बाद भी लापरवाही की गई है।
इनका कहना :
यह सही है कि अभी प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए 30 फीसदी किताबें नहीं पहुंच पाई हैं। विद्यार्थियों को समय से किताबें मिल सकें, इसके लिए पाठ्य पुस्तक निगम को निरंतर पत्राचार किया जा रहा है। अधिकारियों से मौखिक संवाद भी किया जा रहा है।
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