मध्य प्रदेश : एक वर्ष में सरकार ने बाजार से लिया 33 हजार करोड़ रुपए का कर्ज
भोपाल (कन्हैया लोधी )। मौजूदा वित्तीय वर्ष में कर्ज लेने का सिलसिला 29 मार्च को थम गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022-23 की अवधि के लिए बाजार से कर्ज लेने का सिलसिला 29 जून से शुरू हुआ था। इस अवधि में मध्यप्रदेश सरकार ने कुल मिलाकर बाजार से 33 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया। बाजार से कर्ज लेने के लिए सरकार ने कुल 14 बार आरबीआई (RBI) का दरवाजा खटखटाया।
वित्त विभाग ने 29 मार्च को सबसे अंत में एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इसके लिए 24 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी और 28 मार्च को ऑक्शन किया गया था। 29 को ऑक्शन ओपन किया गया। वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक सरकार ने एक बार फिर मजबूत वित्तीय स्थिति का संकेत निवेशकों को भी दिया। लिहाजा कर्ज की अदायगी की अवधि को 24 वर्ष रखा गया है। यानी सबसे आखिर में लिया गया एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज अब 24 वर्ष की अवधि में चुकाना होगा।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक कर्ज की अदायगी की सबसे कम अवधि 10 वर्ष और अधिकतम अवधि 20 वर्ष तक तय रखी गई थी, लेकिन आखिरी कर्ज लेने के लिए सरकार ने अदायगी के लिए 24 वर्ष की अवधि तय की। इस अवधि के लिए भी निवेशकों ने मप्र को कर्ज देने में पूरी दरियादिली दिखाई। ये निवेशकों की मप्र की अर्थ व्यवस्था पर भरोसे को दर्शाता है। पूरे वित्तीय वर्ष की अवधि के दौरान वित्त विभाग ने कुल 14 बार बाजार से कर्ज लिया। मार्च के माह में ही सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया।
एक बार में सबसे कम कर्ज एक - एक हजार करोड़ रुपए का 27 अक्टूबर और 29 मार्च को लिया गया, वहीं एक बार में सबसे अधिक 4000 करोड़ रुपए का कर्ज 23 मार्च को लिया गया था। राज्य सरकार के पास मौजूदा वित्तीय वर्ष में लगभग 40 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेने का विकल्प उपलब्ध था, लेकिन उसके बाद भी वित्त विभाग ने तय लिमिट से कम कर्ज लिया।
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