निजी सप्लायर्स की सांठगांठ से मध्यप्रदेश अंधेरे में : भूपेंद्र गुप्ता

सरकार को यह बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश में सर प्लस पावर होने के बावजूद पावर कट क्यों किया जा रहा है, महंगी बिजली खरीदकर सस्ते दामों पर पावर सरेंडर क्यों किया जा रहा है?
निजी सप्लायर्स की सांठगांठ से मध्यप्रदेश अंधेरे में : भूपेंद्र गुप्ता
निजी सप्लायर्स की सांठगांठ से मध्यप्रदेश अंधेरे में : भूपेंद्र गुप्ताSocial Media
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भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश को अंधेरे युग में ढकेल दिया है। सरकार द्वारा शासकीय विद्युत उत्पादन इकाइयों को बंद किया जा रहा है और निजी क्षेत्र की कंपनियों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है। 4 साल पहले जो सरकार सर प्लस बिजली होने के नकली दावे कर रही थी। वही सरकार आज अघोषित कटौती कर रही है। यह बात प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कही है।

गुप्ता ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश में सर प्लस पावर होने के बावजूद पावर कट क्यों किया जा रहा है, महंगी बिजली खरीदकर सस्ते दामों पर पावर सरेंडर क्यों किया जा रहा है। उन्होंने बताया है कि रविवार को ही पावर मेनैजमेंट कंपनी ने 1363 मेगा वाट की अघोषित लोड शैडिंग की है, जबकि उसके एक दिन पूर्व 1708 मेगा वाट की लोड शैडिंग की गई थी। विद्युत विभाग के एसीएस द्वारा कोई लोड सेडिंग न करने का बयान भ्रामक है। 2 से 3 घंटे की अघोषित और अनियमित लोड शैडिंग लगातार की जा रही है।

गुप्ता ने मांग की कि सरकार को यह बताना चाहिए की उपभोक्ता की पीक डिमांड मात्र 9097 मेगा वाट होने के बावजूद इतनी भारी लोड शैडिंग क्यों की जा रही है जबकि विद्युत कंपनी ने लगभग 21000 मेगावाट के निजी कंपनियों से क्रय अनुबंध कर रखे है। सरकार को यह भी बताना चाहिए कि जब मध्य प्रदेश का अधिकतम पीक लोड ही मात्र 15000 मेगावाट होता है तो 21000 मेगावाट तक के क्रय अनुबंध क्यों किए गए, इन काले क्रय अनुबंधों से होने वाले लगभग 3000 करोड़ के नुकसान की भरपाई ईमानदार उपभोक्ता क्यों करें।

उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर विद्युत इकाइयां को बंद रख रही है और विद्युत इकाइयों से कम उत्पादन कर रही है। उपभोक्ता की लुटाई के बावजूद कंपनियां कोल इंडिया का 1100 करोड़ उधार क्यों नहीं चुका रहीं हैं।

गुप्ता ने कहा कि इसी अवस्था में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने रथ-100 में 100 यूनिट बिजली प्रदाय की थी और आज लगभग चार गुनी कीमत पर बिजली बेचने के बावजूद कंपनियां कैसे इतने घाटे में पहुंच गई है, 16 में से 9 इकाइयां बंद हैं ताकि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया जा सके। अधिक दामों पर खरीदी गई बिजली जनता को प्रदान करने की बजाय सरेंडर की जा रही है।

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