गरीबी कम करने में मध्यप्रदेश ने दिया 10 फीसदी का योगदान
गरीबी कम करने में मध्यप्रदेश ने दिया 10 फीसदी का योगदानRajExpress

देश की गरीबी कम करने में मध्यप्रदेश ने दिया 10 फीसदी का योगदान , 1.36 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर

MP NEWS: नीति आयोग 8 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा
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हाइलाइट्स :

  • 1 करोड़ 36 लाख लोगों को गरीबी से मुक्त करने की यात्रा पर पॉलिसी ब्रीफ जारी की जायेगी ।

  • प्रदेश में गरीबी की तीव्रता 47. 25 फीसदी से घटकर 43.70 फीसदी हो गई है।

  • ये रिपोर्ट 2015-16 से 2019- 21 के बीच की है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते पांच वर्ष के दौरान गरीबी के दायरे से एक करोड़ 36 लाख लोग बाहर निकल आए हैं। अब उन्हें नीति आयोग की मानकों के हिसाब से गरीब नहीं माना जाएगा। सबसे बड़ी बात ये कि मप्र ने देश से गरीबी का बोझ कम करने में भी बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। मप्र ने इस अवधि में 10 फीसदी का योगदान दिया है। नीति आयोग 8 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस अवसर पर मप्र में 1 करोड़ 36 लाख लोगों को गरीबी से मुक्त करने की यात्रा पर पॉलिसी ब्रीफ जारी की जायेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य वक्तव्य देंगे।ये रिपोर्ट 2015-16 से 2019- 21 के बीच की है। प्रदेश में गरीबी की तीव्रता 47. 25 फीसदी से घटकर 43.70 फीसदी हो गई है।

गरीबी में 15.94 फीसदी की गिरावट :

मप्र में पांच वर्षों की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94 फीसदी की गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में 36.57 फीसदी से घटकर यह 2019-21 में 20.63: रह गई है। सभी राज्यों में मप्र में सबसे तेजी से कमी देखी गई है।

गरीबी कम करने में ये जिले आगे:

गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवाए, बालाघाट, और टीकमगढ़ में हुआ है।

गरीबी अब केवल पैसे से नहीं आंका जाता:

गरीबी का आकलन करने के वर्तमान मापदंडों के अनुसार गरीबी को केवल पैसे की कमी से नही आंका जाता। स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता, शिशु मृत्यु, मातृत्व मृत्यु, आवास, बैंक खाता, परिसम्पत्तियां, भोजन के लिए ईंधन आदि से वंचित रहने को भी गरीबी का कारण माना जाता है।

गरीबी कम होने का ये मतलब हुआ:

मप्र में 1.36 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा ऊपर आने का मतलब है स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता एवं अन्य मापदण्डों की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार हुआ है। यह संख्या सिंगापुर और लीबिया जैसे देशों की कुल आबादी के दोगुने से भी ज्यादा है।

बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों में इतनी घटी गरीबी:

अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 2015-16 में अलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी जो एनएचएचएस-5 2019-21 में घटकर 40.25 फीसदी रह गई। इस प्रकार 31.5 प्रतिशत सुधार हुआ है। बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार 28.08 फीसदी का सुधार हुआ है। खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से कम होकर 15.15 फीसदी पर आ गया है। इस तरह 27.38 प्रतिशत सुधार हुआ है। बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है ।

ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में आई कमी:

मप्र की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 फीसदी की गिरावट आई है। 2015-16 में यह 45.9 फीसदी थी, जो 2019-21 में कम होकर 25.32 फीसदी तक आ गई है। शहरी गरीब आबादी में 6.62फीसदी की गिरावट आई है। पहले के 13.72 के मुकाबले अब 7.1 फीसदी तक आ गई है। शहरी गरीबी की तीव्रता 2.11 फीसदी कम हुई है। पहले 44.62 थी जो अब 42.51 तक कम हो गई है।

हर क्षेत्र में विकास से गरीबी में आई कमी

  • स्वच्छता से वंचित लोगों में 19.81 प्रतिशत

  • खाना पकाने के ईंधन से वंचित लोगों के अभाव में 16.28 प्रतिशत

  • आवास से वंचित रहने वालों की संख्या में 15.12 प्रतिशत

  • पोषण अभाव में रहने वालों की संख्या में 13.6 प्रतिशत

  • मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या में 9.54 प्रतिशत

  • पेयजल अभाव में 8.84 प्रतिशत

  • स्कूली शिक्षा के अभाव के वर्षों में 6.06 फीसदी

  • बैंक खाते जैसी वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों में 5.98 प्रतिशत

  • संपत्ति के अभाव में 5.68 फीसदी की गिरावट ।

  • बिजली की सुविधा से वंचित रहने वालों की संख्या में 5.6 फीसदी

  • बाल और वयस्क मृत्यु दर में 1.26 फीसदी

गरीबी की गहनता में कमी:

अलीराजपुर जिले में गरीबी की गहनता में 9.29 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है जो 57.06 फीसदी से घटकर 47.77 फीसदी हो गई है। बड़वानी जिले में 7.53 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है जो 61.6: से घटकर 49.74 फीसदी हुई, झाबुआ में 7.05 फीसदी घटी, धार में 49.34 फीसदी से 7.04 फीसदी घटकर 42.3 फीसदी हो गई, जबलपुर में 45.39 फीसदी से 6.71 फीसदी गिरकर 38.68 फीसदी और सीहोर जिले में 46.5 फीसदी से 6.38 फीसदी घटकर 40.12 फीसदी देखी गई है।

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