संगठनों की निगरानी समिति को चिट्ठी : कोर्ट के आदेश के बाद भी गैसपीड़ित दूषित पानी पीने को मजबूर
हाइलाइट्स :
2019 से नहीं हुई पानी की जांच।
बैठक बुलाने और फील्ड विजिट की मांग।
भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी में बुधवार को गैस पीड़ित संगठनों द्वारा यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की वजह से फ़ैल रहे भूजल प्रदूषण और साफ़ पानी मुहैया कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति को पत्र लिखा है। पत्र में समिति के चेयरमैन, जस्टिस शील नागु और सदस्य सचिव राजीव कारमाहे से जल्द बैठक बुलाने और फील्ड विजिट करने के लिए आग्रह किया है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी कार्बाइड कारखाने के आसपास की 42 बस्तियों के रहवासियों को साफ़ पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है, न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि भोपाल नगर निगम को इन 42 बस्तियों में पाईपलाइन से दिए जा रहे पानी की जांच हर 4 माह में करनी है और उस जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक करनी है। मार्च 2019 के बाद से किसी एक भी मोहल्ले में जांच नहीं की गई है। यह भी आदेश है कि इन 42 मोहल्लों में भूजल के सभी स्त्रोतों को बंद करना है, ताकि कोई भी प्रदूषित पानी इस्तेमाल ना करें। आज भी 27 बस्तियों में प्रदूषित बोरवेल धड़ल्ले से चल रहे हैं, जिसके दस्तावेजी सबूत, फोटो संगठनों ने अपने पत्र में दिए है। इसके अलावा, हाल ही में कार्बाइड के पास की और नई 29 बस्तियों के भूजल में एक और जहरीला रसायन भी पाया गया है। बहुत संभव है की कार्बाइड का प्रदूषण अब इन 29 मोहल्ले के रहवासियों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, इसके मद्देनजर, संगठनों ने समिति से आग्रह किया है कि वह इस फैलते प्रदूषण को सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में लाएं ताकि यहां के रहवासियों को भी साफ पानी मिल सके।
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन भी इस मामले में पक्षकार है और वह भी इन नई 29 बस्तियों में यूका के जहर फ़ैलने और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टॉक्सीकॉलिजिकल रिसर्च लखनऊ द्वारा इन मोहल्लों की भूजल जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखेंगे। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा ने कार्बाइड के खिलाफ बच्चे और भोपाल ग्रुप फॉर इंफार्मेशन एंड एक्शन ने संयुक्त रूप से यह पत्र लिखा है।
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