23 मार्च से न्यायलयीन कार्य नहीं करेंगे वकील ,25 प्रकरणों के तीन माह में निराकृत करने संबंधी आदेश का विरोध
जबलपुर। प्रदेश भर में गुरुवार 23 से 25 मार्च तक अधिवक्तागण न्यायलयीन कार्य से स्वयं को विरत् रखकर प्रतिवाद दिवस मनायेंगे। उक्त जानकारी मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के बाईस चेयरमेन आरके सिंह सैनी, कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी व मानद सचिव राधेलाल गुप्ता ने पत्रवार्ता में दी। पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए बाईस चेयरमेन श्री सैनी ने बताया कि उच्च न्यायालय द्धारा 25 प्रकरणों को तीन माह की समय सीमा में निराकृत करने के आदेश दिये गये है। जिससे न्याय का उद्देश्य विफल हो रहा है।
जिसकों लेकर प्रदेशभर की अदालतों में विरोध चल रहा है। विगत् 2 मार्च को एसबीसी के सदस्यगणों द्धारा चीफ जस्टिस के साथ बैठक की गई थी, जिसमें उन्होने सकरात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक हाईकोर्ट की ओर से उक्त संबंध में कोई सकरात्मक पहल नहीं की गई है। जिस पर पुन: हाईकोर्ट को पत्र भेजा गया था, लेकिन उसका भी अब तक कोई जवाब नहीं आया। जबकि 18 मार्च को एसबीसी की सामान्य सभा की बैठक में निर्णय लिया गया था कि यदि 22 मार्च तक हाईकोर्ट उक्त आदेश को वापस नहीं लेता है तो 23 मार्च से प्रदेशभर के अधिवक्ता 25 मार्च तक न्यायलयीन कार्य से विरत् रहेंगे। 25 मार्च तक यदि हाईकोर्ट ने कोई सकरात्मक पहल नहीं की तो 26 मार्च को पुन: एसबीसी की सामान्य सभा की बैठक कर आगे की रूपरेखा तय की जायेगी।
राजस्थान की तर्ज पर प्रदेश में भी हो एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू
एसबीसी के बाईस चेयरमेन आरके सिंह सैनी व कोषाध्यक्ष मनीष तिवारी ने बताया कि राजस्थान में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया गया है, जबकि मप्र में यह मांग वर्षो से चली आ रही है। इतना ही नहीं प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने अधिवक्ता पंचायत में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किये जाने की बात कहीं थी, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ। जिससे आगामी समय में अधिवक्ताओं के हित में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर अधिवक्तागण आंदोलन करेंगे। सरकार को चाहिये कि वह भी राजस्थान की तरह प्रदेश में भी एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करे।
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