लाड़ली बहना योजना
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लाड़ली बहना योजना : एक साल में 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक होंगे खर्च

MP NEWS: मप्र की सबसे बड़ी फ्लेगशिप योजना के लिए सरकार पहले ही बजट में 8000 करोड़ रुपए का प्रावधान कर चुकी है और 10 जून को पहली किस्त बहनों के खाते में आना है।
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भोपाल। मप्र की अब तक की सबसे बड़ी गेमचेंजर योजना में शुमार की जा रही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना (Ladli Bahna Yojana) को लेकर मप्र की बहनों ने जिस तरह का अपार उत्साह दिखाया है, उससे सरकार को अब नए सिरे से बजट का गुणा-भाग करना पड़ रहा है। ये इसलिए कि सरकार ने जितना सोचा था, उस अनुमान से लगभग 40 फीसदी अधिक बहनों ने योजना के तहत एक हजार रुपए प्रति माह के लिए आवेदन भरकर क्लेम (claim) कर दिया है। जो संभावना जताई जा रही है उस हिसाब से प्रदेश में लाड़ली बहनों की संख्या एक करोड़ 25 लाख के आंकड़े को पार कर सकती है।

विधानसभा चुनाव से ठीक 10 माह पहले जब ये योजना कागजों में आकार ले रही थी, तब किसी को भी ये अनुमान नहीं था कि इतनी अधिक बहनें एक हजार रुपए प्रतिमाह के लिए दावा जताएंगी। ऐसे में योजना को लेकर सरकार ने जो कागजों में गणित लगाया है, अब वह पूरी तरह गड़बड़ा गया है।

एक करोड़ का था लक्ष्य

लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार ने जो तैयारी की थी, उसमें इस योजना के साथ ही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के हितग्राही को भी शामिल कर कुल आंकड़ा एक करोड़ के करीब पहुंचने का अनुमान था। इस समय प्रदेश में विधवा पेंशन योजना के हितग्राहियों की संख्या 5 लाख 36 हजार तो वृद्धावस्था पेंशन के हितग्राहियों की संख्या 15 लाख 69 हजार से अधिक है। इस तरह इन दोनों ही योजनाओं के हितग्राहियों की संख्या 21 लाख से अधिक पहुंच जाती है। यानी सरकार को लाड़ली बहना योजना के तहत अधिकतम 80 लाख के करीब आवेदन मिलने की संभावना थी, लेकिन अब आंकड़ा पूरी तरह बदल गया है।

पंजीयन कराने का सिलसिला अब भी जारी

प्रदेश में लाड़ली बहना योजना के लिए पंजीयन कराने का सिलसिला अब भी जारी है। 30 अपैल तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। अभी ये आंकड़ा एक करोड़ 21 लाख को पार कर गया है। अभी एक दिन और है। योजना के तहत एक करोड़ 25 लाख बहनों के आवेदन करने की संभावना जताई जा रही है। इस तरह इन आवेदनों को और वृद्धावस्था और विधवा पेंशन योजना के हितग्राहियों की संख्या को मिला दें तो अभी ये संख्या एक करोड़ 42 लाख से अधिक पहुंच गई है। इस तरह इन तीनों स्कीमों के हितग्राहियों की संख्या एक करोड़ 45 लाख तक पहुंच सकती है। एक बात और मिले लाड़ली बहना योजना में इतने अधिक रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार अब रजिस्ट्रेशन की तारीख बढ़ाने के मूड में नहीं है।

अब खर्च का गणित

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में सरकार हितग्राही को प्रतिमाह 600 रुपए दे रही है। इसमें केंद्र सरकार 200 रुपए और राज्य सरकार 400 रुपए देती है। इसी तरह विधवा पेंशन योजना के हितग्राहियों को भी प्रतिमाह 600 रुपए दिए जाते हैं। इसमें प्रति हितग्राही को केंद्र सरकार की ओर से 300 और राज्य सरकार की ओर से भी 300 रुपए दिए जाते हैं। सरकार ने दोनों ही योजनाओं के हितग्राहियों को भी एक हजार रुपए देने का एेलान किया है। इस तरह सरकार को दोनों ही योजनाओं के हितग्राहियों को प्रतिमाह 400 रुपए अतिरिक्त अपने खजाने से देने पड़ेंगे। इस तरह 21 लाख हितग्राहियों पर प्रतिमाह 84 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। यानी एक साल में सरकारी खजाने पर कम से कम 1008 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार तो इन दोनों ही योजनाओं का पड़ जाएगा।

अब लाड़ली बहना पर इस तरह खर्च होगी राशि

मप्र की सबसे बड़ी फ्लेगशिप योजना के लिए सरकार पहले ही बजट में 8000 करोड़ रुपए का प्रावधान कर चुकी है और 10 जून को पहली किस्त बहनों के खाते में आना है। यानी मौजूदा वित्तीय वर्ष के 10 माह के लिए राशि का बंदोबस्त किया गया है, लेकिन मौजूदा हालातों में 10 माह के लिए भी ये राशि कम पड़ेगी। यदि सीएम लाड़ली बहना योजना में एक करोड़ 25 लाख बहनों को प्रतिमाह एक हजार दिए गए तो एक माह में सरकार को 1250 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। यानी चुनावी साल में ही सरकारी खजाने पर कम से कम अकेले इसी योजना पर 12500 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे। वहीं एक वित्तीय वर्ष में ये राशि तो बढ़कर 15 हजार करोड़ रुपए हो जाती है। इधर विधवा और वृद्धावस्था पेंशन के 1008 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होने वाली राशि को भी जोड़ दें तो सरकार को एक वर्ष में 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च करना पड़ेगा। इस तरह चुनावी वर्ष में लोक-लुभावन और बहनों के मन-भावन योजना के चलते सरकारी खजाने पर बम्पर भार पडऩा तय है। एेसे में विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा के आखिर सत्र जो कि पावस सत्र होगा, उसमें सरकार अनुपूरक बजट लाकर अतिरिक्त राशि का प्रावधान करेगी।

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