राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में खाचरौद पुलिस की मानवता फिर एक बार देखने को मिली है। ये खबर उन लोगों के लिये जोरदार तमाचा है जो पुलिस से नफरत करते हैं। कोरोना संकट के इस दौर में खाचरौद पुलिस की मानवीय भूमिका इतिहास के पन्नो में दर्ज की जायेगी तनावपूर्ण वातावरण में पुलिस अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं जो पूरी कोशिश में है कि कोरोना संकट खाचरौद से दूर रहें।
अपराधों की रोकथाम लाकडाउन का पालन सहित अवैध गतिविधियों की धरपकड़ के साथ-साथ पुलिस की नजर सामाजिक व्यवस्था पर भी बनी हुई हैं। ऐसा ही एक मामला रविवार को पुलिस थाना खाचरौद में देखने को मिला जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। परिवार से दूर बच्चों से दूर पुलिस अधिकारी कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन अपनी ड्यूटी में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।
खाचरौद थाना प्रभारी केके द्विवेदी ने जानकारी देकर बताया की पुलिस को सूचना मिली थी की एक मनोरोगी महिला 6 माह की बच्ची को लेकर सड़कों पर भटक रही है। जो नवजात बच्ची को नई कोर्ट के सामने लावारिस छोड़ कर इधर उधर घूमती है। बच्ची के साथ अप्रिय घटना की संभावना उत्पन्न हो रही थी। कोई अप्रिय घटना होती उसके पहले महिला पुलिसकर्मी मनोरोगी महिला और बच्ची को महिला थाना परिसर ले आए। पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी के साथ मानवता की मिसाल भी प्रस्तुत की है।
पुलिस ने महिला एवं बच्ची के खाने का दूध का प्रबंध के साथ बकायदा महिला और बच्ची के लिये खाने-पीने के बर्तन के साथ नए कपड़ो की भी तत्काल व्यवस्था की। एसडीओपी पुलिस अरविंद सिंह ने एसडीएम वीरेंद्र दांगी से चर्चा कर महिला के सिविल हॉस्पिटल खाचरौद में बने एनआरसी केंद्र पर मनोरोगी बच्ची के खाने-पीने, दूध के साथ ठहरने की समुचित व्यवस्था भी की है।
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