महलगांव स्थित करोली मैया: मां के दरबार में जुड़ गई थी कटी हुई जीभ
ग्वालियर। महलगांव स्थित करोली माता पर न सिर्फ भक्तों की मुरादें पूरी होती है, बल्कि यहां जीवन की उम्मीद छोड़ चुके कई लोगों को नवजीवन मिला है,यही वजह है कि यहां हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु माता के दरबार में माथा टेकने आते हैं। यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि मां ने चमत्कार दिखाते हुए एक बार भक्त की कटी हुई जीभ जोड़ दी, तो वहीं सांप काटने से मरी महिला को पुनर्जीवित कर दिया।
ऐसे बताया जाता है कि करीब 62 साल पहले दुल्ल के भगत रमेश मां करोली की भक्ति में इतने डूब गए कि उन्होंने अपनी जिव्हा करोली मां के दरबार में काट कर अर्पित कर दी और वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। इसके पश्चात उनकी पत्नी ने कटी जीभ कटोरी में रखकर मां को चढ़ा दी। मां करोली की इस अपरंपार महिमा को देखकर जब उनके दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी तो उन्होंने अपना चमत्कार दिखाते हुए रमेश भगत की जीभ जोड़ दी। मां के चमत्कार की एक 65 वर्ष पूर्व की एक अन्य घटना के बारे मेें यहां बताते हैं कि एक महिला को सांप ने काट लिया था। महिला के परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन मृत महिला को जब महलगांव स्थित करोली माता के मंदिर लाया गया, तो वह पुनर्जीवित हो गई।
ये है इतिहास
200 साल पहले ओहदपुर ग्राम के जमींदार के वशंज महंत हीरालाल जब रात को बैलगाड़ी से मुरार से ओहदपुर जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में कुंवर महाराज घोड़े पर सवार मिले। उन्होंने अपने घोड़े से उतरकर हीरालाल को बैलगाडी से उतरने के लिए कहा और हीरालाल से एक सवाल पूछा। हीरालाल ने जब सवाल का सही जबाव दे दिया तो वे महलगांव स्थित करोली माता का फूटा चबूतरा और अपना स्थान बनवाने का आदेश देकर अंर्तध्यान हो गए। तब से कुंवर महाराज का आशीर्वाद एवं मां करोली के दर्शनों के लिए यहां प्रतिदिन सैकड़ों की तादात में लोग जाते हैं। यहां वर्षभर होने वाली चढोत्तरी से मंदिर का निर्माण कराया जाता है। यहां करोली माता के साथ बजरंगवली, भैरोनाथ, कुंवरबाबा तथा भगवान शंकर का भी मंदिर स्थित है।
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