राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में 28 नवंबर 2018 विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ सियासी खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वोटिंग के बाद और दिसंबर में आए नतीजों से पहले पॉलिटिकल पंडितों ने पहले ही साफ़ कर दिया था, टक्कर काटे की रहेगी। मध्य प्रदेश में हुआ भी कुछ ऐसा ही जब 12 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश की 230 सीट्स वाली विधानसभा के नतीजे सामने आये, तो कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत हासिल हुयी। बीजेपी 109 पर ही रह गई और यहां समाप्त हुआ बीजेपी का शिवराज युग कांग्रेस, जादुई आकड़े से 116 से मात्र 2 सीट से चूक गयी और यहाँ से शुरू हुआ सियासत का खेल जो आज तक जारी है।
कांग्रेस के बड़े अनुभवी नेता कमल नाथ सामने आते हैं और मोर्चा सभांलते हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गठन होता है BSP, SP समेत अन्य निर्दलीय विधयाकों का समर्थन भी प्राप्त हो जाता है, पर सरकार बनते ही ये बात कही जाने लगती है कि सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। विपक्ष के तरफ से सरकार को गिराने के प्रयास भी किये गए। वायरल वीडियोस में प्रदेश की जनता ने साफ़ तौर पर देखा कि, कैसे विधायकों को अपने-अपने पक्ष में रखने की कवायद चल रही थी।
सियासत में कभी कोई सौदा मुफ्त में नहीं किया जाता। अब जिन विधयाकों ने सरकार को समर्थन दिया था। सब में मंत्री पद हासिल करने की होड़ सी लग गयी और जिनको मंत्री पद ना मिला वो सरकार को अपने बगावती तेवर दिखाने लगता। कल कांग्रेस विधायक ने भी ये बात अपने इस्तीफे वाले पत्र में कहीं कि मैं किसी कांग्रेस गुट का नहीं हो पाया, इसलिए मेरी बात को नज़रअंदाज किया गया।
कमल नाथ सरकार अपने विधायकों में इसी असंतोष को ख़त्म करने के लिए बड़ा निर्णय ले सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिली जानकारी के मुताबिक कमल नाथ सरकार अपने सभी मंत्रियों से इस्तीफे लेकर कैबिनेट का पुनर्गठन कर सकती है। अब देखना यह होगा कि, मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी और विपक्ष के हमलों से क्या कमल नाथ अपने अनुभवी नेतृत्व में सरकार को संभाल पायेंगे या नहीं।
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