चुनावी मोड पर जल जीवन मिशन - वित्त विभाग भी मेहरबान, इसी माह 2947.45 करोड़ खर्च करने की मिली अनुमति
भोपाल। यदि मप्र सरकार की कोई एक योजना जो कि सबसे बड़ी योजना है तो वह है जल जीवन मिशन। चुनावी वर्ष में जल जीवन मिशन के कामों को जैसे पंख ही लग गए हैं। सरकार मिशन के कामों को लेकर पूरी तरह चुनावी मोड पर है। सरकार ने इस योजना के लिए खजाने के दरवाजे भी खोल दिए हैं। इसकी बागनी ये है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने अकेले जून के लिए ही खर्च करने के लिए जो राशि मांगी तो वित्त विभाग ने पूरे 2947 करोड़ 45 लाख रुपए खर्च करने की अनुमति दे दी है। ऐसा संभवत: कम ही होता है कि किसी विभाग को एक साथ एक बार में ही खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि मिलती हो।
मप्र में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी पहुंचाने की योजना ने लगभग आधा सफर तय कर लिया है। प्रदेश में अब तक 51548 गांवों में 25810 गांवों में नल से पानी पहुंचाने का काम कर दिया गया है। अब सरकार के सामने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा गांवों में नल से पानी पहुंचाने की चुनौती है, जिससे कि गांवों में सरकार की धमक और चमक बढ़ायी जा सके। कहते हैं बिन पानी सब सून...। यदि किसी क्षेत्र में पानी की किल्लत है तो फिर सरकार की सभी उपलब्धियां पर लगभग पानी ही फिर जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिए पानी सबसे बड़ी जरुरत है। सड़क, बिजली जैसी जरुरतों की बारी तो उसके बाद ही आती है। प्रदेश सरकार ये बात अच्छी से जानती है, इसलिए पानी के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों के बीच पहुंच बनाने की कोशिशों में लगी हुई है।
60 लाख से अधिक घरों में पहुंच गया पानी
19 जून तक की स्थिति में प्रदेश में 60 लाख 24 हजार 817 ग्रामीण घरों में सरकार ने नल से पानी पहुंचा दिया है। इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। प्रदेश में लगभग एक करोड़ 20 लाख ग्रामीण घरों में नल से पानी देने की योजना है। इस तरह सरकार ने आधी मंजिल तय कर ली है। ये योजना 15 अगस्त 2019 को लांच की गई थी। तब वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था। मप्र में जून 2020 से मिशन का काम शुरू किया गया है।
नवंबर-दिसंबर तक 80 जाख घरों में पानी पहुंचाने की योजना
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत अफसरों को टॉस्क दिया है, उसके तहत प्रदेश में नवंबर-दिसंबर 2023 तक कम से कम 80 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाने का प्लान तय किया गया है। इस तरह प्रदेश की बड़ी आबादी विधानसभा चुनाव तक नल से पानी की पहुंच के दायरे में शामिल हो जाएगी, वहीं बाकी बचे कामों को वर्ष 2024 में पूरा कर लिया जाएगा। राज्य सरकार की कोशिश है कि प्रदेश गुजरात के बाद नल से पानी उपलब्ध कराने के मामले में देश के बड़े राज्यों में कम से कम दूसरे नंबर पर रहे। पहले पर तो गुजरात बना हुआ है।
पिछले तीन माह में इतने घरों में पहुंचा नल से जल
अप्रैल - 60315
मई - 133308
जून में लक्ष्य- 75008
प्रदेश के 93419 स्कूलों में से 74151 स्कूलों में 20 जून तक नल से पानी उपलब्ध करा दिया गया है जो कि 79.37 फीसदी है।
20 जून 2023 तक 66896 आंगनवाड़ी में से 43806 आंगनवाड़ी केंद्रों में भी नल से जल पहुंचा दिया गया है जो कि 65.48 फीसदी है।
10409 गांवों में नहीं है पानी का कोई स्त्रोत
विभागीय सर्वेक्षण में प्रदेश के 10 हजार 409 गांव ऐसे हैं जहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं है। पीएचई विभाग ने इन ग्रामों की जल-प्रदाय योजनाओं के लिए जल-स्त्रोत आकलन समिति गठित की है, जो वैकल्पिक स्त्रोत के संबंध में सूक्ष्म परीक्षण कर रिपोर्ट दे दी है जिसके आधार पर जल-संरचनाओं के निर्माण के काम शुरू होंगे।
मप्र सरकार खर्च कर रही 25 हजार करोड़ से अधिक की राशि
जल जीवन मिश के काम के लिए केन्द्र और राज्य सरकार 50-50 प्रतिशत राशि खर्च कर रही है। प्रदेश में जल जीवन मिशन में अब तक 50 हजार करोड़ रूपये लागत की जल-प्रदाय योजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इस तरह मप्र सरकार अकेले इस योजना पर लगभग 25 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। मिशन के तहत 36 हजार 464 करोड़ की समूह और 13 हजार 312 करोड़ की एकल जल-प्रदाय योजनाओं का काम हाथ में लिया गया है। मिशन में प्रदेश के 51 हजार 548 ग्रामों में से 41 हजार 139 में जल-प्रदाय योजनाओं के काम शुरू कर दिए गए हैं।
इनका कहना है
मप्र में जल जीवन मिशन के तहत 50 फीसदी से अधिक घरों में नल से पानी पहुंचा दिया गया है। प्रदेश में मिशन के काम तेजी से चल रहे हैं। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द ग्रामीणों को नल से पानी उपलब्ध हो सके। मिशन के कामों की प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जा रही है।
संजय शुक्ला, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
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