जबलपुर, मध्य प्रदेश। मप्र हाईकोर्ट ने पीएससी परीक्षा 2019 की प्रारंभिक परीक्षा परिणाम सहित राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में किए गए संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले सभी मामलों की सुनवाई जबलपुर मुख्यपीठ में किये जाने के निर्देश दिये है। चीफ जस्टिस मोह. रफीक व जस्टिस संजय द्धिवेदी की युगलपीठ ने सोमवार को मामलों की सुनवाई के दौरान पीएससी 2019 के प्रारंभिक परीक्षा परिणाम याचिका के निर्णय के अधीन रहने के आदेश यथावत रखा है। युगलपीठ ने मामलों की अगली सुनवाई संयुक्त रूप से 22 फरवरी को किये जाने के निर्देश दिये हैं।
उल्लेखनीय है कि यह मामले हिमांशू गौतम तथा आनंद पटैल सहित अन्य की ओर से दायर किये गये हैं। जिसमें कहा गया है कि कि अनारक्षित सामान्य सीटों पर आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थीयों का चयन किए जाने का सामान्य नियम है। पीएससी ने उक्त सीटों पर सिर्फ सामान्य क्लास के ही अभ्यर्थीयों का चयनित किया है। प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के विरूद्ध 15 गुना अभ्यर्थीयों को चयनित करने का नियम है, लेकिन पीएससी ने अनारक्षित वर्ग को 26 गुना से ज्यादा चयनित किया गया है। प्रदेश में एसटीएससी, ओबीसी तथा ईडब्लूयएस वर्ग के लिए 73 प्रतिशत आरक्षण है। अनारक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत आरक्षित किए गए हैं जिससे कुल आरक्षण 113 प्रतिशत पहुंच जायेगा। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से हेमराज राणा के प्रकरण में पारित निर्णय का हवाला देते हुए बताया गया कि आरक्षण का लाभ अंतिम चयन में दिए जाने का प्रावधान किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस संबंध में मुख्यपीठ में पांच याचिका दायर की गयी है, जिस पर जवाब पेश नहीं की गया है। इसके अलावा इंदौर व ग्वालियर बैंच में भी याचिकाएं लंबित हैं। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये। युगलपीठ ने इस संबंध दायर सभी याचिका मुख्यपीठ स्थानातंरित करने के आदेश दिये है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह व विनायक शाह ने पक्ष रखा।
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