मानसिक गुलामी के भाव को देश से निकालना आवश्यक : शिवराज सिंह चौहान
मानसिक गुलामी के भाव को देश से निकालना आवश्यक : शिवराज सिंह चौहानSocial Media

मानसिक गुलामी के भाव को देश से निकालना आवश्यक : शिवराज सिंह चौहान

मध्यप्रदेश में हिन्दी में पढ़ाए जाएंगे पाठ्यक्रम। देश-विदेश के हिन्दी सेवी हुए सम्मानित। मुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस पर रवीन्द्र भवन सभागम में हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण कार्यक्रम को संबोधित किया।
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भोपाल, मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हिन्दी का प्रयोग न करने और कम प्रयोग करने का कार्य एक तरह की मानसिक गुलामी का प्रतीक भी है। इस भाव को देश से बाहर निकालना आवश्यक है। हिन्दी के साथ ही हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। इनके उपयोग के साथ ही राजभाषा में पूरा कामकाज किए जाने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश में हिन्दी को भरपूर प्रोत्साहन दिया गया है। सहज और सरल हिंदी का उपयोग करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने हिंदी दिवस पर रवीन्द्र भवन सभागम में हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण कार्यक्रम को संबोधित किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने देश-विदेश के हिंदी सेवियों को सम्मानित भी किया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिंदी का उपयोग करने में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। खुल कर हिंदी बोलें। अपने घर में भी अधिक से अधिक हिंदी का उपयोग करें। परिवार के सदस्य हिंदी बोलने में कंजूसी न करें और अंग्रेजी के शब्दों के बोझ से अपनी आत्मा को न दबाएं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उन्होंने संसद में भी अनेक सांसद को अंग्रेजी में अपनी बात कहते देखा है। शायद वे मानते हैं कि अंग्रेजी बोलेंगे तो हमारा अलग रूतबा होगा। मध्यप्रदेश में गांधी मेडिकल कालेज, भोपाल में चिकित्सा की पढ़ाई इसी सत्र से हिन्दी में प्रारंभ कर रहे हैं। साथ ही इंजीनियरिंग और विज्ञान तकनीकी से जुड़े अन्य पाठ्यक्रमों को भी हिंदी में पढ़ाने की शुरुआत राज्य में की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अटल जी का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में संबोधन दिया था, जो किसी भारतीय राजनेता द्वारा प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में दिया गया संबोधन था। उन्होंने हिन्दी का सम्मान बढ़ाया। हम सभी को हिन्दी पर गर्व करना चाहिए। हिन्दी हमारी मातृ-भाषा भी है। विदेशी भाषा को गर्व का विषय न बना कर हिन्दी को अपनी मातृ-भाषा बनाएँ। हिन्दी को प्रतिष्ठित करना हम सबका कर्त्तव्य है। हम मध्यप्रदेश में हिन्दी के प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। हिन्दी दिवस मनाना कोई कर्मकांड नहीं है बल्कि एक संकल्प है। आज हम अपने जीवन में हिन्दी के प्रयोग और कामकाज में हिन्दी का ही उपयोग करने का संकल्प लें।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हिन्दी अद्भुत भाषा है। हिन्दी मन है, प्राण है और आत्मा है। बिना हिन्दी के भारत के भावों का प्रकटीकरण नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह बात कचोटती है कि आज हिन्दी भाषा सम्मेलन और हिन्दी दिवस कार्यक्रम करने होते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नवीन शिक्षा नीति में हिन्दी और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अनुवाद की शुद्धता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। अक्सर विधेयकों की भाषा कोई समझ नहीं पाता। हिन्दी ने कुछ भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात कर लिया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाया जाए। किसी भी स्तर पर हिन्दी के प्रयोग में कंजूसी की आवश्यकता नहीं है। भारत का प्राचीन इतिहास देखें तो, हमने वेदों की रचना तब कर ली थी जब अनेक देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था। भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया। इसी तरह हिन्दी भारत से आगे जाकर संसार के अनेक देशों में बोली जा रही है। विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में यह शामिल है। मध्यप्रदेश की धरती पर हिन्दी के प्रचार के लिए गंभीरतापूर्वक लगातार प्रयास होते रहेंगे।

गर्व से करें हिंदी का उपयोग : मंत्री सुश्री उषा ठाकुर

संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि हम सब को गर्व से हिंदी भाषा का उपयोग करना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा, पहचान और हमारी संस्कृति का प्राण है। हिंदी भाषा में करीब 50 लाख शब्द है। वर्णमाला के 52 अक्षरों के साथ हजारों पर्यायवाची शब्दों को समाहित करती हिंदी जैसी विश्व में कोई दूसरी भाषा नहीं है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने के नवाचार के लिए मध्यप्रदेश की प्रशंसा की है। यह हमारे मुख्यमंत्री श्री चौहान की हिंदी भाषा के प्रति समर्पण के भाव और उसके विकास के चिंतन का परिणाम है। सुश्री ठाकुर ने कहा कि कितना अच्छा हो कि अगर हम एक नवाचार यह भी करें कि सड़कों पर दिशा बताने वाले और मार्गों के नामकरण के बोर्ड, दुकानों के साइन बोर्ड और चिकित्सकों के पर्चे और दवाओं के पैकेट आदि पर विवरण हिंदी में लिखा जाए। इससे न सिर्फ ग्रामीण जन को सुविधा होगी बल्कि हिंदी भाषा का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होगा। यह हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

बारह हिन्दी सेवी हुए सम्मानित :

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान से श्री जयदीप कर्णिक को वर्ष 2019 के लिए और नई दिल्ली की ऋतम संस्था को वर्ष 2020 के लिए सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से सुश्री डॉ. अर्चना पैन्यूली डेनमार्क को वर्ष 2018 के लिए, डॉ. कृष्ण कुमार बर्मिघम को वर्ष 2019 के लिए रोहित कुमार “हैप्पी" न्यूजीलैंड को वर्ष 2020 के लिए सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान से सुश्री आनी मांतो पेरिस को वर्ष 2018 के लिए, डॉ. बीरसेन जागा सिंह मारीशस को वर्ष 2019 के लिए और प्रो. हिदेआकि इशिदा टोकियो को वर्ष 2020 के लिए सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान से वर्ष 2019 के लिए पदमाकर धनंजय सराफ भोपाल को और वर्ष 2020 के लिए डॉ. संतोष चौबे भोपाल को सम्मानित किया गया। इसी तरह राष्ट्रीय हिन्दी सेवा सम्मान से डॉ. शीला कुमारी त्रिवेंद्रम को वर्ष 2019 के लिए और श्री सुधीर मोता भोपाल को वर्ष 2020 के लिए सम्मानित किया गया। इन सभी सम्मानों में प्रत्येक सम्मानित को एक-एक लाख रूपये की सम्मान राशि, सम्मान पट्टिका एवं शाल-श्रीफल प्रदान किया गया।

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