तवे की कालक और भिंड़ी के ब्रश से दीवार पर चित्र उकेरने वाली भूरी बाई अब पद्मश्री

भोपाल, मध्य प्रदेश : तवे की कालक का काला और सेम फली के हरे रंग को भिंड़ी के ब्रश से दीवारों पर चित्रकारी करने वाली भूरी बाई ने सर्वोच्च सम्मानों में शामिल पद्मश्री को अपनी कला को समर्पित कर दिया।
तवे की कालक और भिंड़ी के ब्रश से दीवार पर चित्र उकेरने वाली भूरी बाई अब पद्मश्री
तवे की कालक और भिंड़ी के ब्रश से दीवार पर चित्र उकेरने वाली भूरी बाई अब पद्मश्रीSocial Media
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भोपाल, मध्य प्रदेश। तवे की कालक का काला और सेम फली के हरे रंग को भिंड़ी के ब्रश से दीवारों पर चित्रकारी करने वाली भूरी बाई ने सर्वोच्च सम्मानों में शामिल पद्मश्री को अपनी कला को समर्पित कर दिया। भील समाज से आने वाली भूरी बाई ने कम उम्र से ही दीवारों पर चित्रकारी करना शुरू कर दिया था, लेकिन तब उन्हें नहीं पता था कि यही कला देश-विदेश में उनकी पहचान बन जाएगी। भूरी बाई को पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है, इसका कारण यह है कि उन्हें भान ही नहीं है कि पद्मश्री सम्मान का महत्व क्या है। वे तो बस इतना जानती हैं कि उनकी कला को एक बड़ा सम्मान मिला है। कड़े संघर्ष के बाद अपनी पहचान बनाने वाली भूरी बाई ने राज एक्सप्रेस से अपने जीवन के अच्छे-बुरे दौर पर खुलकर चर्चा की।

Q

आपके सफर की शरूआत के बारे में बताएं।

A

जब मैं 15-16 साल की थी तब रोजी-रोटी की तलाश में पति के साथ अपने गांव पिटोल, मोटी बावड़ी जिला झाबुआ से लगभग 30-35 साल भोपाल आई थी। मैं छह रूपए दिहाड़ी पर मजदूरी करने लगी, तब मुझे नहीं पता था कि जिस भवन निर्माण में हम मजदूरी कर रहे हैं वो भारत भवन है। वहां बड़े चित्रकार जे स्वामीनाथन ने मेरी कला को पहचाना और 5 दिन चित्रकारी करने के 50 रूपए दिए। उस समय के बाद से मैं चित्रकारी करने लगी, फिर एक दिन ऐसा भी आया जब मेरी पेंटिंग प्रर्दशनी तक पहुंची और कद्रदानों ने उसे खरीदा। उसके बाद तो जैसे ईश्वर की कृपा हुई और देश-विदेश में मेरी पेंटिंग पसंद की गई।

Q

आपकी चित्रकारी कला का मूल रूप क्या है ?

A

भील आदिवासी गांवों में पिथोरा देवता से मांगी गई मनोकामना पूरी होने पर देव चित्रों को घर की दीवार पर उकेरा जाता है। यह चित्र बनाना हमारे समाज की पारंपरिक कला है। इन चित्रों को पुराने दौर में प्राकृतिक रंग से बनाया जाता था। हमारे समाज में पुरुष ही पिथोर देवता और उनके घोड़े का चित्र बना सकते हैं। महिलाएं अन्य चित्र बनाती हैं, मैं भी तब तवे की कालक, सेम फली के हरे रंग, लाल-पीली मिट्टी के रंगों से चित्रकारी करने लगी। शुरूआत में मुझे कला का उतना ज्ञान नहीं था, लेकिन भोपाल आने के बाद मेरी चित्रकारी में निखार आया।

Q

आपकी सबसे सस्ती और सबसे महंगी पेंटिंग ?

A

शुरूआती दौर में मेरी पेंटिंग के दाम बमुश्किल 50 रुपए मिले थे, यह सबसे सस्ती पेंटिंग थी, जबकि हाल ही में मेरी एक पेंटिंग ढाई लाख रुपए में खरीदी गई, यह अब तक का सबसे अधिक दाम है।

Q

सवाल: आप सरकार से क्या चाहती हैं?

A

जवाब: मेरी कला को कुछ लोगों ने पहचान कर मुझे आगे बढ़ा दिया, लेकिन सबको ऐसे मौके नहीं मिलते हैं। सरकार ऐसे लोगों के लिए सुविधाएं और अवसर मुहैया कराए।

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