INDORE POLICE : पलक झपकते ही सामने होगी अपराधी की कुंडली, पुलिस टीम के पास पहुंची 40 हाईटेक मशीन
इंदौर। पुलिस की कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाने एवं अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने हेतु नित नई तकनीकों का इस्तेमाल कर पुलिस को दक्ष बनाया जा रहा है। इंदौर में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद से ही पुलिस द्वारा अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने एवं उन्हें पकडऩे के लिएए नित नई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसी के तहत इंदौर पुलिस के साथ मिलकर सिटीजन कॉप द्वारा एक तकनीक विकसित की गई है। इसके उपयोग से अब पुलिस के लिए अपराधियों को पकडऩा और उनकी पहचान करना और आसान हो गया है।
सिटीजन कॉप द्वारा विकसित तकनीक में बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाते ही अपराधी के सभी रिकॉर्ड सामने आएंगे। ऐसे में पुलिसकर्मी जो अपराधी को नहीं पहचानते हैं, वे भी उसे पहचान कर पकड़ सकेंगे। चेकिंग प्वाइंट पर खड़े पुलिसकर्मी किसी भी संदिग्ध व्यक्ति का बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगवाकर उस संदिग्ध व्यक्ति की पहचान कर सकेंगे। संभवत: यह पूरे देश में अपनी तरह की एक नई पहल है।
2022 में पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र द्वारा उक्त क्रिमिनल ट्रैकिंग बायोमेट्रिक मशीन को लांच किया गया था। शुरुआत में कुछ मशीनें ट्रायल के लिए लांच की गई थी। लगभग 9 महीने तक सफलतापूर्वक ट्रायल के बाद अब इंदौर के सभी पुलिस थानों और क्राइम ब्रांच सहित 40 क्रिमिनल ट्रैकिंग बायोमैट्रिक मशीन प्रदान की गई है। अब सड़कों पर खुलेआम घूमने वाले अपराधियों को पकडऩा बेहद आसान हो जाएगा।
जल्द ही ट्रेस होंगे अपराधी
पुलिस कमिश्नर ने इस बायोमेट्रिक डिवाइस और ऐप का उपयोग अपनी नियमित पुलिस चौकियों और संदिग्ध गतिविधि वाले व्यक्तियों के साथ करने के लिए निर्देशित किया गया था और कहा था कि हम अपराधियों को ट्रेस करने और ट्रैक करने के लिए जहां भी संभव हो इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सामान्य मामलों में व्यक्ति के पिछले रिकॉर्ड का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। इस टूल का उपयोग करने के बादए यह पता लगाना बहुत आसान होगा कि उस व्यक्ति का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड हैं या वह कोई अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहा है या नहीं। यह निश्चित रूप से अपराध को नियंत्रित करने और शहर में घूम रहे अपराधियों की पहचान करने में मदद करेगा। ऐसे रीयल टाइम रिकॉर्ड फेचिंग टूल के बिना ऐसे प्रत्येक को ढूंढना और ट्रेस करना संभव नहीं है। एडिशनल कमिश्नर क्राइम राजेश हिंगणकर के मार्गदर्शन में पुलिस उपायुक्त निमिष अग्रवाल के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की टीम इस तरह का फिंगरप्रिंट डेटाबेस बनाने के लिए लगातार काम कर रही है और यह डेटाबेस निरंतर रूप से समय के साथ बढ़ता जा रहा है।
खुले आम घमने से डरेंगे अपराधी
डीसीपी अग्रवाल द्वारा उक्त तकनीक के संबंध में बताया कि हमारे पास आंतरिक कामकाज के लिए एक अलग ऐप है और सभी डेटा प्रविष्टि सुरक्षित पैनलों का उपयोग करके की गई है। जैसे-जैसे डेटा बढ़ता है यह सभी थाना कर्मचारियों और यहां तक कि यातायात अधिकारियों को भी उल्लंघनकर्ताओं और संदिग्ध व्यक्तियों के आपराधिक इतिहास को ट्रैक करने और उनका पता लगाने में मदद करेगा। इस तकनीक से खुलेआम घूम रहे अपराधियों में दहशत पैदा होगी। अपराधी शहर में खुलेआम घूमने से डरेंगे जिससे अपराध पर भी काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा। सिटीजन कॉप के संस्थापक राकेश जैन ने कहा कि इसे एक सुरक्षित प्लेटफार्म पर बनाया गया है। इस तरह के डेटा का उपयोग प्रतिबंधित है ये इंदौर पुलिस अधिकारियों के नियंत्रण में रहेगा। केवल अधिकृत अधिकारी ही ऐसे बायोमेट्रिक उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे और ऐप का उपयोग कर सकेंगे।
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