Indore News : 7200 करोड़ का बजट पेश करने वाली निगम के पास आपदा प्रबंधन के लिए बजट नहीं
इंदौर। नगर निगम जो लगातार छह बार सफाई में शहर को नंबर 1 का खिताब दिलाकर 56 इंची छाती चौड़ी किए मुनादी कर अपने सलाना बजट में इजाफे के साथ 7200 करोड़ का बजट पेश कर अपनी पीठ थप थापा रही थी। उसकी कलाई गुरुवार को हुए ह्दय विदारक घटना पर खुल गई और पटेल नगर के मंदिर में हुए हादसे के बाद वह अकड़ एक तरफ धरी रह गई और सिर शर्म से झुक गया। इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अमित चौरसिया ने उक्त आरोप लगाते हुए कहा लोगों की मौत हो गई जिसमें मासूम बच्चे और महिलाएं भी थी। कारण इतने बड़े हादसे के घंटों बाद तक भी हमारा प्रशासन बचाव के संसाधन भी पूरी तरह से नहीं जुटा पाया। सूचना मिलने के बाद न के बराबर संसाधन के साथ बचाव के लिए पहुंची टीम को शुरुआत में अनेक संसाधन तो स्थानीय रहवासियों ने मुहैया करवाए, जिसके चलते घायलों को तो निकाल लिया गया।
धीमी गति से चली बचाव कार्य की शुरुआत
चौरसिया ने कहा उक्त हादसे को शुरुआत में हमारे जिम्मेदार अधिकारियों ने शायद कमतर आंका। शायद इसीलिए बचाव कार्य की शुरुआत भी कुछ धीमी गति से चली और नतीजतन सभी के सामने हैं। कठिनाई महसूस होने के बावजूद भी अफसर हादसे के घंटों बाद तक भी अपने स्तर पर ही बचाव कार्य जारी रखें रहे और जब लगने लगा कि अब स्थिति हाथ से निकल रही है तब जाकर सेना को बुलाने का निर्णय लिया गया। यदि शुरुआत में ही स्थिति की गंभीरता का आकलन कर बगैर देर किए मात्र 22-25 किमी दूरी पर मौजूद सेना को मदद के लिए बुला लिया जाता तो संभव था कि कुछ ओर जानों को बचाया जा सकता था, लेकिन नतीजा यह रहा कि जीवित तो छोडि़ए साहब, घटना के लगभग 15 घंटे गुजर जाने के बाद देर रात करीब साढ़े तीन-चार बजे तक मृत शरीरों को भी नहीं निकाला जा सका था।
अपने प्रिय परिजनों को खो चुके लोगो को इंसाफ दो
चौरसिया ने कहा क्या महापौर और निगम कमिश्नर को इस हादसे की नैतिक जवाबदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा नही देना चाहिए जिसमें इंदौर नगर निगम की लापरवाही जग जाहिर हो रही है। ह्दय विदारक घटना पर भ्रष्ट अधिकारियों और अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने वाले नेताओं पर भी मुकदमा दर्ज हो ।
एक ही बेड पर दो-दो बच्चियों का इलाज?
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संतोष सिंह गौतम ने कहा घायलों को देखने अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री के सामने ही प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की असंवेदनशीलता और लापरवाही का उदाहरण सामने आया है। एक ही बेड पर दो-दो बच्चियों का इलाज किसी भी दृष्टि से क्षम्य नहीं है। अगर मुख्यमंत्री के सामने ही जवाबदारों का रवैया इतना गैर जिम्मेदाराना है तो बाद में पीडि़तों के प्रति उनका व्यवहार कैसा होगा, आसानी से समझा जा सकता है। प्रदेश सरकार में यदि थोड़ी भी नैतिकता और संवेदनशीलता है तो उन्हें पीडि़तों का दर्द समझते हुए उनके उचित इलाज में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहिए।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।