करोड़ों के सरकारी अस्पतालों में एमआईआर, सिटी स्केन मशीन नहीं
करोड़ों के सरकारी अस्पतालों में एमआईआर, सिटी स्केन मशीन नहींसांकेतिक चित्र

Indore : शर्मनाक! करोड़ों के सरकारी अस्पतालों में एमआईआर, सिटी स्केन मशीन नहीं

इंदौर, मध्यप्रदेश : हर वर्ष लाखों रुपए का भुगतान कर रहे सरकारी अस्पताल निजी सेंटरों को। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भी नहीं लग पाई दोनों मशीनें।
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इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर भले ही मेडिकल हब के रूप में पहचान बना रहा है, लेकिन यह शहर के लिए शर्मनाक है कि अब तक शहर के किसी भी सरकारी अस्पताल में एमआईआर और सिटी स्केन मशीन नहीं लग सकी है। 50 करोड़ से अधिक की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बना, उसमें भी यह मशीन स्थापित नहीं हो पाई न ही 20 करोड़ से अधिक लागत से एमवायएच का कायाकल्प हुआ, वहां भी दोनों मशीनें नहीं लग पाई।

आयुष्मान योजना के तहत गरीब मरीजों की एमआईआर और सिटी स्केन की जांच निजी सेंटर में कराई जा रही हैं। इसके लिए अब तक सरकारी अस्पतालों द्वारा निजी सेंटरों को करोड़ों रुपए भुगतान किए जा चुके हैं। आयुष्मान योजना के पूर्व दीनदयाल योजना के तहत कार्डधारी मरीजों की यह जांच निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में होती है।

जानबूझकर नहीं लगाई जा रही है दोनों मशीनें :

सूत्रों का कहना है कि 50 करोड़ों से अधिक लागत में बनकर तैयर हुए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में करोड़ों की लागत की मशीनें आई हैं, लेकिन जानबूझकर सिटी स्केन और एमआईआर मशीनें लगाने में लेटलतीफी की जा रही है, ताकि निजी संस्थाओं को लाभ मिल सके और इसका लाभ कुछ खास लोगों को मिल सके। नहीं तो कोई ऐसा कारण नहीं है कि मात्र 7-8 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को सर्वप्रथम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल या फिर एमवायएच में स्थापित किया जा सकता था। एमवायएच में जिस संस्था को किराए पर एमआईआर और सिटी स्केन मशीन के लिए जगह दे रखी है, वहां आसानी से अस्पताल की स्वयं की यूनिट अब तक स्थापित हो सकती थी, लेकिन इसको लेकर न शहर के जनप्रतिनिधि और न ही स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोई विशेष प्रयास किया हो।

दानदाता ही लगवा देते दोनों मशीनें :

शहर में कई बड़े दानदाता हैं, जिन्होंने एमवायएच के कायाकल्प के दौरान दान भी दिया है। बोनमैरो यूनिट के लिए भी दानदाता आगे आए थे। इतना ही नहीं शहर में ऐसे समाजसेवी भी हैं, जो करोड़ों का दान दे चुके हैं। थोड़ी कोशिश की जाती, तो अब तक एमवायएच में इन दानदाताओं की मदद से एमआईआर मशीन और सिटी स्केन मशीन स्थापित हो जाती, लेकिन इसके लिए किसी अब तक कोई कोशिश नहीं हुई है। इस कारण गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय मरीजों को सस्ती जांच सुविधा अब तक नहीं मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ अन्य जिलों में जिला अस्पतालों में यह मशीनें स्थापित हो चुकी है, लेकिन करोड़ों के बजट वाले सुपर स्पेशलिटी और एमवायएच अस्पताल में नहीं।

दानदाताओं की मदद से होती हैं जांचे :

एमवायएच में ऐसे कई अत्यंत गंभीर मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिनका इलाज समय पर एमआईआर और सिटी स्केन नहीं होने के कारण शुरू नहीं हो पाता है। कारण इन लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता है या फिर कोई नियम आड़े आ जाता है। ऐसे मरीज रुपए के अभाव में तड़पते रहते हैं, क्योंकि एमवायएच में जो निजी डायग्नोस्टिक सेंटर वो एमवायएच में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को कोई रियायत नहीं देता है और सिफारिश से रियायत देता भी है, तो उतने रुपए में दूसरे सेंटरों में जांच हो जाती है। ऐेसे मरीजों की मदद एमवायएच में कार्यरत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और संगठन करते हैं। दानदाताओं से रुपए जुटाकर एमआईआर, सिटी स्केन कराते हैं।

यह कहना है इनका :

हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एमआईआर और सिटी स्केन मशीन लग जाएं। उम्मीद है जल्द ही इसके बेहतर नजीते सामने आएंगे।

डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर

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