Indore : अलसुबह हुआ रिट्राइवल, सूरज निकलते ही अंगों के लिए बने दो ग्रीन कॉरिडोर
इंदौर, मध्यप्रदेश। सोमवार को एक बार शहर का नाम केडेवर आर्गन डोनेशन में रोशन हुआ। एक 52 वर्षीय व्यक्ति के रविवार को ब्रेन स्टेम डेथ होने के बाद उनके अंगों का सोमवार अलसुबह रिट्राइवल किया गया और तुरंत भोर होते ही दो अस्पतालों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।
रविवार ब्रेन स्टेम डेथ परीक्षण की विधान पूर्वक प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अंगदान की प्रक्रिया सोमवार को अलसुबह 4 बजे बजे प्रारंभ हुई। ब्रेन स्टेम डेथ परीक्षण का कार्य शेल्बी हॉस्पिटल के 4 पंजीकृत डॉक्टरों द्वारा संपन्न हुआ। परिवार के विशेष आग्रह पर यह परीक्षण शासकीय चिकित्सा एम वाय हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता द्वारा भी किया गया।
इसका प्रथम ग्रीन कॉरिडोर (6.09 से 6.18) शेल्बी हॉस्पिटल से चोइथराम हॉस्पिटल और दूसरा ग्रीन कॉरिडोर (6.20 से 6.23) शेल्बी हॉस्पिटल से सीएचएल हॉस्पिटल के लिए संपन्न हुआ। अंगदान की सहमति दिवंगत के सुपुत्र शिशुपाल बिरला एवं पंकज बिरला द्वारा प्राप्त हुई। इस सहमति में परिवार के ही सदस्य नरेंद्र बिरला ने महती भूमिका निभाई। कमिश्नर डॉ. पवन जी शर्मा एवं महात्मा गांधी मेडिकल कालेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित की अगुवाई में इन्दौर का नाम एक बार फिर अंगदान का साक्षी बना जब यहां 44वा अंगदान संपन्न हुआ।
वरीयता सूची के अनुसार लीवर चोथराम हॉस्पिटल के मरीज को, एक किडनी शेल्बी हॉस्पिटल के 40 वर्षीय पुरुष रोगी को एवं दूसरी किड्स सीएचएल के पंजीकृत रोगी को प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते सीएचएल अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया, वहीं चोइथराम अस्पताल में लीवर और शेल्बी अस्पताल में किडनी का ट्रांसप्लांट सफल रहा है। इस प्रकार दो लोगों को नई जिंदगी मिली। वहीं अन्य अंग जैसे हार्ट, लंग्स, पेनक्रियास के लिए समय पर डोनर नहीं मिल पाया।
यह पहला मौका था जब सुबह 5 बजे ही पुलिस प्रशासन ग्रीन कॉरिडोर के लिए अपनी व्यवस्थाओं में लग गया। ग्रीन कॉरिडोर व्यवस्था में ट्रैफिक एडिशनल एसपी अनिल पाटीदार, दिलीप परिहार, गजेंद्र सिंह जादौन, राजावत भदोरिया एवं उनके यातायात पुलिस दल द्वारा कमान संभाली गई। समन्वय सेव मुस्कान के सेवादार जीतू बगानी, संदीपन आर्य, राजेंद्र माखीजा,जुगल नागपाल, हरपाल सीतलानी,लक्की खत्री,एवं लोकेश बगानी पिछले 36 घंटे बिना सोए समन्वय कार्य मे लगे रहे। सोटो नोडल अधिकारी डॉ मनीष पुरोहित,डॉ. ईशा तिवारी, एमजीएम मेडिकल कॉलेज की निधि शर्मा,शेल्बी हॉस्पिटल के इंटेंसिविस्ट ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर हेमलता चौहान का योगदान रहा।
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