एमजीएमएमसी में जल्द ही मंकीपॉक्स का टेस्ट हो सकेगा
एमजीएमएमसी में जल्द ही मंकीपॉक्स का टेस्ट हो सकेगासांकेतिक चित्र

Indore : एमजीएमएमसी में जल्द ही मंकीपॉक्स का टेस्ट हो सकेगा

इंदौर, मध्यप्रदेश : शहर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मंकीपॉक्स वायरस और अन्य जूनोटिक रोगों का डायग्नोस और कल्चर टेस्ट हो सकेगा।
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इंदौर, मध्यप्रदेश। शहर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मंकीपॉक्स वायरस और अन्य जूनोटिक रोगों का डायग्नोस और कल्चर टेस्ट हो सकेगा। जूनोटिक डिसिज के लिए मानिटरिंग और डायग्नोस यानिनिदान क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने पूरे देश में सर्विलेंस के लिए निगरानी साइटों का एक नेटवर्क स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसमें मध्य प्रदेश में तीन साइटों यानी इंदौर, भोपाल और जबलपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।

एनसीडीसी ने सभी राज्यों को इसके लिए मेडिकल कॉलेज/संस्थान को नामित करने के लिए प्रस्ताव भेजने के लिए कहा था। इस पर मप्र सरकार ने राज्य के इन तीन मेडिकल कॉलेजों को नामित किया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन निगरानी केंद्रों की स्थापना राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य कार्यक्रम की रोकथाम और नियंत्रण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है (एनओएचपी-पीसीजेड)।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि कॉलेज को राज्य सरकार द्वारा नामित किया गया है और अब वो इसके लिए विस्तारपूर्वक प्रस्ताव बनाकर भेज रहे हैं। प्राथमिकता वाले जूनोसिस में स्क्रब टाइफस, रिकेट्सियल संक्रमण, लेप्टोस्पायरोसिस, केएफडी, सीसीएचएफ, ब्रुसेलोसिस आदि को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके बाद हम मंकीपॉक्स के सेंपल का परीक्षण करने में सक्षम होंगे। इसके लिए एनसीडीसी उपयुक्त तकनीकी और वित्तीय सहायका भी मुहैया कराएगा।

जूनोटिक डिसिज (रोग) क्या हैं?

जूनोटिक रोग वो रोग या संक्रमण हैं जो प्राकृतिक रूप से वर्टीब्रेट (कशेरुकी) जानवरों से मनुष्यों में या मनुष्यों से इन जानवरों में फैल सकते हैं। इंसानों में बीेमारी पैदा करने वालों में से 60 प्रतिशत से अधिक मूल रूप से जूनोटिक हैं। इसमें बैक्टीरिया, वायरस, कवक, प्रोटोजोआ, परजीवी और अन्य रोगजनकों की एक विस्तृत विविधता शामिल है। वहीं दूसरी तरफ घोषणा के महीनों बाद एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन मिलने का इंतजार जारी है। सरकार ने इंदौर के स्थान पर मशीन को भोपाल स्थानांतरित कर दिया था, जबकि डब्ल्यूएचओ द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली मशीन अभी तक नहीं मिली है।

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