कोरोना पॉजिटिव हो, तभी मेडिकल बोर्ड में जाना होगा
कोरोना पॉजिटिव हो, तभी मेडिकल बोर्ड में जाना होगाSocial Media

Indore : कोरोना पॉजिटिव हो, तभी मेडिकल बोर्ड में जाना होगा

इंदौर, मध्यप्रदेश : एमवायएच प्रशासन नहीं मान रहा आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट भी सही। फर्जीवाड़े के चलते दिए मौखिक आदेश, अवकाश देने में बर्ती जा रही सख्ती।
Published on

इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना पॉजिटिव का सुनते ही लोग बिदक जाते हैं। लोग उस मरीज के आसपास तो दूर घर के पास से गुजरने में भी संकोच करते हैं। कोरोना पॉजिटिव होने के लिए कोरोना की रेपिड जांच ही काफी है, लेकिन एमवायएच प्रबंधन तो आरटी-पीसीआर द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर भी यकीन नहीं कर रहा है। यदि कोई स्टाफ आरटी-पीसीआर टेस्ट में कोरना पॉजिटिव निकल रहा है, तो उसे अवकाश तभी मिलेगा, जब अस्पताल का मेडिकल बोर्ड यह मानेगा।

वैसे इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन द्वारा लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है, मौखिक आदेश जारी करते हुए इस संबंध में स्टाफ को अब अवकाश देने से इनकार किया जा रहा है। इसको लेकर अस्पताल का स्टाफ संशय में आ गया है कि सर्दी-जुकाम या कोरोना के लक्षण होने पर वो कोरोना की जांच कराए या मेडिकल बोर्ड में जाए।

न सही इलाज मिल रहा, न ही हो रही सुनवाई :

एमवायएच स्टाफ का कहना है कि पहली, दूसरी लहर में कोरोना में भले काफी मौते हुई हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं था कि कोरना पॉजिटिव निकलने के बाद लगातार पॉजिटिव मरीज के संपक में स्वास्थ्य विभाग का अमला लगा रहता था। यहां तक की मरीज के घर तक टीम पहुंचकर उसकी जांच करती थी और दवा देने के बाद भी लगातार फोन पर उससे संपर्क बना रहता था, लेकिन तीसरी लहर में ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। स्टाफ का कहना है कि पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद स्वयं ही ओपीडी में आना पड़ रहा है। इस दौरान पॉजिटिव व्यक्ति रास्ते में और अस्पताल में कितने लोगों को संक्रमित कर रहा होगा, समझा जा सकता है। इस पर सितम यह है कि अब अस्पताल प्रबंधन भी पॉजिटिव रिपोर्ट की सत्यता पर शक कर रहा है।

फर्जीवाड़े की आशंका के चलते उठाया कदम :

इस संबंध में जानकारी निकाली गई, तो मालूम हुआ कि अस्पताल प्रबंधन भी जानता है कि इन दिनों कोरोना पाजिटिव का इस्तेमाल कैसे और किस लिए हो रहा है और आसानी से निजी लैब द्वारा इससे मुहैया कराया जा रहा है। इस रिपोर्ट का इस्तेमाल केवल ड्यूटी से बचने और अवकाश लेने के लिए किया जा रहा है, जबकि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं होता है। यही कारण है कि अस्पताल प्रबंधन केवल सरकारी अस्पताल में दिए गए सेंपल की रिपोर्ट को ही सही मान रहा है। निजी लैब की रिपोर्ट में पॉजिटिव आने के बाद संबंधित को मेडिकल बोर्ड मे जाना होगा। वर्तमान में एमवायएच में बड़ी संख्या में कंसल्टेंट, जूनियर डॉक्टर के साथ पैरामेडिकल स्टाफ कोरना की गिरफ्त में आने के कारण अवकाश पर चल रहे हैं। 26 जनवरी को इंदौर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह झंडावंदन करेंगे, इसलिए दबाव बना हुआ है, इसलिए अब स्टाफ को अवकाश देने में सावधानी बरती जा रही है।

70 से ज्यादा जूडॉ चपेट में :

तीसरी लहर में बड़ी संख्या में चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहा है। तीसरी लहर में एमजीएम मेडिकल कॉलेज यानि एमवायएच और उससे संबद्ध अस्पताल में कार्यरत 70 जूनियर डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। वहीं बड़ी संख्या में फेकल्टी भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वहीं शहर के अन्य अस्पतालों की बात की जाए तो इंडेक्स में 22, सेम्स 16, चोइथराम अस्पताल 9, अपोलो अस्पताल 10, शैल्बी 5, यूनिक 4, विशेष गीता भवन 4, मयूर 3, बीमा अस्पताल 3 व अन्य अस्पतालों में इक्का-दुक्का केस निकल चुके हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में नर्सिंग स्टाफ भी कोरोना पॉजिटिव हो चुका है।

यह कहना है इनका :

अब क्वारंटाइन के लिए केवल मेडिकल लीव ही दी जा रही है। मेडिकल लीव के लिए मेडिकल बोर्ड का सर्टिफिकेट लगता है। जो प्रक्रिया है, उसे ही अस्पताल द्वारा अपनाया जा रहा है।

डॉ. पीएस ठाकुर, अधीक्षक, एमवायएच, इंदौर

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com