इंदौर, मध्यप्रदेश। उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख, प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता और कार्यपालन यंत्री को अवमानना याचिका में नोटिस जारी कर 26 जुलाई को न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।
मामला विभाग की कर्मचारी पुष्पा कोराने और अन्य का है। इन लोगों को विभाग ने 13 अगस्त 2004 से स्थाई कर्मचारी के पद पर वर्गीकृत किया था लेकिन उन्हें स्थाई कर्मचारियों के समान वेतनमान नहीं दिया जा रहा था। कर्मचारियों ने इसे लेकर श्रम न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। श्रम न्यायालय ने कर्मचारियों के प्रकरण को निरस्त कर दिया था। श्रम न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। इसे आंशिक रूप से स्वीकारते हुए कोर्ट ने कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान के अनुसार स्थाई किए जाने की दिनांक से भुगतान करने के आदेश विभाग को दिए। बावजूद इसके जब कर्मचारियों को भुगतान नहीं हुआ तो उन्होंने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी।
विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट में आश्वासन दिया कि 30 दिवस में कर्मचारियों को पूर्ण भुगतान कर दिया जाएगा। बाद में कर्मचारियों को भुगतान करने के बजाय शासन ने स्थाई किए जाने का आदेश ही निरस्त कर दिया। इसके विरुध्द कर्मचारियों ने एक बार फिर हाई कोर्ट की शरण ली। उन्होंने एक बार फिर अवमानना याचिका प्रस्तुत की और कोर्ट को बताया कि शासन न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने अधिकारियों को सूचना पत्र जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न उन्हें अवमानना के लिए दोषी मानते हुए दंडित किया जाए। मामले में अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रखर कर्पे, रामपाल उईके और यश अग्रवाल ने पैरवी की।
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