Indore : प्रदेश में हर साल 12 हजार लोग गंवाते हैं सड़क हादसों में अपनी जान
इंदौर, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश में हर साल हर साल 12,000 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 21 प्रतिशत, मृत्यु दर में 11 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 25 प्रतिशत की लगातार वृद्धि हुई है। सड़क सुरक्षा और अन्य सामाजिक मुद्दों से संबंधित मामलों में भी वृद्धि हुई हैं। इस तरह की कई महत्वपूर्ण जानकारी सोमवार को आईआईएम इंदौर में साझा की गई। आईआईएम इंदौर ने अब सड़क सुरक्षा और सुरक्षा में अनुसंधान करने व ज्ञान साझा करने के लिए एक कदम उठाया है और पुलिस प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, भोपाल (पीटीआरआई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
अनुसंधान और ज्ञान साझा करेंगे :
प्रो. हिमांशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर, और जी. जनार्दन, आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस निदेशक, पीटीआरआई, पुलिस मुख्यालय, भोपाल ने सोमवार को इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। मनोज राय, एआईजी, पीटीआरआई भोपाल, राकेश गुप्ता, आईपीएस, एआईजी - ग्रामीण, इंदौर, हरिनारायण चारी मिश्र, आईपीएस, पुलिस आयुक्त, इंदौर भी उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान और ज्ञान साझा करने और सड़क सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा मुद्दों के समाधान प्रदान करने के लिए सहयोग तंत्र स्थापित करना है।
अनुसंधान भी होगा सहायक :
जी. जनार्दन ने कहा मुझे यकीन है कि आईआईएम इंदौर फैकल्टी द्वारा मजबूती से डिजाइन किया गया शिक्षण मॉड्यूल सड़क सुरक्षा के लिए प्रभावी समाधान तैयार करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में हर साल हर साल 12,000 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। सड़क सुरक्षा और अन्य सामाजिक मुद्दों से संबंधित मामलों में वृद्धि के साथ, आईआईएम इंदौर के फैकल्टी द्वारा प्रशिक्षण मॉड्यूल हमारे प्रबंधकीय और नेतृत्व कौशल को और बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान भी सहायक होगा, इसके लिए रिपोर्ट विभिन्न फंडिंग एजेंसियों को प्रस्तुत की जाएगी। पीटीआरआई और आईआईएम इंदौर विशेष रूप से मध्य प्रदेश से संबंधित मुद्दों पर एक साथ काम करेंगे, जिससे रा'य के प्रशासनिक विकास में योगदान, दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान, सड़क सुरक्षा उपायों के बारे में नागरिकों में जागरूकता पैदा करना, क्षेत्र के अनुसार यातायात नियमों के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना और दिशानिर्देश तैयार करना संभव होगा।
सड़क दुर्घटनाओं में 21, मृत्यु दर में 11, घायलों की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई :
मनोज राय ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 21 प्रतिशत, मृत्यु दर में 11 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्य प्रदेश सुरक्षा योजना 4ई – शिक्षा (एजुकेशन), प्रवर्तन (इंफोर्समेेंट), इंजीनियरिंग और आपातकालीन देखभाल (इमरजेंसी केयर) पर केंद्रित है। यह प्रभावी ढंग से निष्पादित नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि आईआईएम इंदौर के साथ यह समझौता ज्ञापन हमें ऐसे मुद्दों के मूल कारण की पहचान करने और दिशा-निर्देशों को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद करेगा।
ग्रामीण इलाकों में अधिक होते हैं सड़क हादसे :
राकेश गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसों की संख्या अधिक है, क्योंकि गांव की हर सड़क हाईवे से जुड़ी हुई होती है। 'शहरी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन तुलनात्मक रूप से अधिक प्रबंधनीय हो सकता है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम उन तरीकों की पहचान करें जो राजमार्ग दुर्घटनाओं को भी कम करते हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों के विकास, ड्राइविंग की गति, चालक के लिए स्पष्ट दृष्टि और चालक की योग्यता पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
अनुमान लगाकर विश्लेषण करने की है आवश्यकता :
हरिनारायण चारी मिश्र ने कहा कि भारत में दुर्घटना से होने वाली मौतों का आंकड़ा विदेशों की तुलना में अधिक है, क्योंकि विदेश में सड़कों की गुणवत्ता और नागरिकों के बीच जागरूकता भारत की तुलना में बेहतर है। प्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ, हम ड्राईवर-लेस कारों की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य की चुनौतियों का अनुमान लगाने और उनका विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
35 हजार पुलिस अधिकारियों ने गंवाई अपनी जान :
प्रोफेसर राय ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ किए अपने पिछले शोध की चर्चा की। उन्होंने ऑन-ड्यूटी पुलिस अधिकारियों की मौत के बारे में आंकड़े साझा करते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक 35,000 पुलिस अधिकारियों ने अपनी जान गंवाई है। उस रिपोर्ट पर काम करते हुए, मैं यह जानकर भी दंग रह गया कि पुलिस अधिकारियों को ले कर आम नागरिक की धारणा आमतौर पर नकारात्मक होती है। उनके समर्पित और लंबे समय तक काम करने के बावजूद पुलिस कर्मियों के बर्ताव को नकारात्मक माना जाता है। पुलिस अधिकारियों के लिए परेशान और चिंतित होना स्वाभाविक है, क्योंकि वे हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बिना छुट्टी, बिना रुके, निरंतर काम करते हैं। तब मैंने फैसला किया कि हमें अपने पुलिस अधिकारियों के कार्य को सुगम बनाने और उनकी मदद लिए कुछ करने की जरूरत है। पीटीआरआई भोपाल के साथ यह समझौता ज्ञापन आईआईएम इंदौर द्वारा सड़क सुरक्षा से संबंधित मुद्दों की पहचान करके और उन्हें रा'य में दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए प्रशिक्षण और समाधान की पेशकश करके पुलिस अधिकारियों को उनकी नौकरी में सुविधा प्रदान करने के लिए एक और पहल है।
राजमार्गों पर होती है 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं :
प्रोफेसर राय ने बताया पचास प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं राजमार्गों पर होती हैं, और एक तिहाई घायल दोपहिया वाहनों पर सवार होते हैं। सड़क दुर्घटनाएं सकल घरेलू उत्पाद को प्रभावित करती हैं, क्योंकि हमारा रसद भी धीमा हो जाता है और यातायात धीमा होने पर तो यह 14 प्रतिशत तक कम हो जाता है। कोई भी ऐसे शहर, रा'य या देश में निवेश नहीं करना चाहता जो सुरक्षित नहीं है। हमें कानून और व्यवस्था को सुदृढ़ करने, ऐसी रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता है जो हमारे शहरों को सुरक्षित बनाए, खासकर महिलाओं के लिए, और दुर्घटनाओं की संख्या को सालाना 10 प्रतिशत तक कम करने में मदद करें। प्रबंधन, रणनीति और योजना में आईआईएम इंदौर विशेषता रखता है, और इसी के साथ हम सड़क सुरक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में प्रशासकों और नीति निर्माताओं के लिए प्रशिक्षण और शैक्षिक सत्र आयोजित करने की योजना बनाएंगे।
70 प्रतिशत से अधिक दुर्घटनाएं अधिक गति के कारण: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने, मृत्यु और अपंगता का प्रमुख कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं। भारत में सालाना औसतन लगभग 1,50,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि सड़क पर चलते समय अनुशासनहीनता, लाल बत्ती पर ध्यान न देना, नशे में गाड़ी चलाने और मोबाइल फोन का उपयोग करने के अलावा, 70 प्रतिशत से अधिक सड़क दुर्घटनाएं अधिक गति के कारण होती हैं, जो सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों का 6 प्रतिशत है।
सड़क और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों का समाधान :
प्रोफेसर राय ने बताया समझौता ज्ञापन में रिपोर्ट बनाना, योजना बनाना, सम्मेलन आयोजित करना, संयुक्त अनुसंधान के लिए सहयोग करना आदि शामिल हैं, जो आपसी हित के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देते हैं। प्रो. राय ने कहा, मुझे विश्वास है कि यह सहयोग योजना और इंजीनियरिंग द्वारा सड़क और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों के समाधान विकसित करने और फैकल्टी एक्सचेंज के लिए एक मंच प्रदान करने में उपयोगी साबित होगा।
बीट पुलिसिंग पर भी कर रहे हैं शोध :
एमओयू पांच साल के लिए वैध होगा। आईआईएम इंदौर बीट पुलिसिंग पर भी शोध कर रहा है और नियमित रूप से पुलिस अधिकारियों की पत्नीयों के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यशालाओं का आयोजन करता है। इस अवसर पर100 से अधिक पुलिस भी आईआईएम इंदौर आए।
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