इंदौर, मध्यप्रदेश। लोक शिक्षण संचनालय ने इंदौर डीपीसी ( जिला परियोजना समन्वयक) को स्कूलों की फर्जी मान्यता के पुराने मामले में निलंबित कर दिया है, अधिकारियों का यह भी कहना है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
8 सालों से राज्य शिक्षा केंद्र के अंतर्गत डीपीसी पद पर अक्षय सिंह राठौर जमे हुए हैं। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी के प्रभारी पद पर रहते हुए नो निजी स्कूलों की मान्यता दे दी थी। जिसको लेकर शिकायतें की गई थी। और एफआईआर भी हुई थी। जिस पर राठौर ने अग्रिम जमानत भी ले रखी थी। राजेन्द नगर पुलिस ने मामले की जांच कर राठौड़ एवं अन्य कंप्यूटर ऑपरेटर एफ आई आर दर्ज की थी।
लोक शिक्षण संचनालय आयुक्त ने गुरुवार को जारी किया निलंबन आदेश
अब लोक शिक्षण संचनालय आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने गुरुवार को राठौड़ का निलंबन आदेश जारी करते हुए उनको मुख्यालय संयुक्त संचालक इंदौर संभाग में निलंबन के दौरान पदस्थ किया गया है। इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई के पीछे न्यायालय का सख्त रवैया माना जा रहा है। स्कूलों की मान्यता को लेकर शिक्षा विभाग हमेशा से ही शंका के घेरे में रहा है पिछले साल शिक्षा विभाग में दो बाबू को हटाया गया था। लेकिन निजी स्कूल संचालकों की सांठगांठ के चलते यह मामले हमेशा दबा दिए जाते हैं।
9 स्कूलों को दी थी मान्यता :
कुछ वर्ष पहले जब जिला शिक्षा अधिकारी अवकाश पर थे। उनकी जगह राठौर को प्रभारी डीईओ बनाया गया और उन्होंने फर्जी लॉग इन पासवर्ड का इस्तेमाल करते हुए 9 निजी स्कूलों को मान्यता दी, जिनमें श्रीजी इंटरनेशनल, सेंट उमर एकेडमी, द अपेक्स एकेडमी, हरगोविंद पब्लिक स्कूल, बिरला ओपन माइंड इंटरनेशनल, माइंड आईवल्र्ड स्कूल, बॉम्बे पब्लिक स्कूल देवास नाका और स्काय दिव्य शक्ति मनोरमागंज शामिल रहे।
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