इंदौर : बिना डॉक्टर की सलाह के ना कराएं सीटी स्कैन

इंदौर, मध्यप्रदेश : कोविड संक्रमित मरीज अपनी मर्जी से सीटी स्कैन ना कराएं। जब तक कोरोना लक्षण निर्मित ना हो या डॉक्टरों द्वारा सलाह ना दी जाए तब तक मरीज सीटी चेस्ट ना कराएं।
बिना डॉक्टर की सलाह के ना कराएं सीटी स्कैन
बिना डॉक्टर की सलाह के ना कराएं सीटी स्कैनRaj Express
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हाइलाइट्स :

  • ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग रोकने के लिए नियुक्त करें ऑक्सीजन प्रभारी

  • रेमडेसिविर का इंजेक्शन अनावश्यक उपयोग घातक हो सकता है

  • कोविड मरीजों के उपचार के संबंध में वैज्ञानिक परिचर्चा संपन्न

इंदौर, मध्यप्रदेश। कोविड संक्रमित मरीज अपनी मर्जी से सीटी स्कैन ना कराएं, इससे उत्पन्न होने वाले रेडिएशन हार्ट मरीजों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद शुरुआती दिनों में सीटी स्कैन कराने से सही नतीजे भी नहीं मिलते हैं। इसलिए जरूरी है कि जब तक कोरोना लक्षण निर्मित ना हो या डॉक्टरों द्वारा सलाह ना दी जाए तब तक मरीज सीटी चेस्ट ना कराएं।

यह महत्वपूर्ण बात गुरुवार को एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सभागृह में आयोजित की गई वैज्ञानिक परिचर्चा में डॉक्टर सलिल भार्गव ने बताई। इंदौर में कोविड मरीजों की बढ़ती हुई संख्या, गंभीर रोगियों के उपचार, उपचार में समरसता के लिये एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वाधान में एक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया है।

94 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन सेचुरेशन हो तो भर्ती करें :

व्याख्यान में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी एवं संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा विशेष रूप से शामिल हुए। परिचर्चा में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. वीपी पाण्डे, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष टीबी एण्ड चेस्ट डॉ. सलिल भार्गव, सह प्राध्यापक मेडिसिन डॉ. अशोक ठाकुर एवं सहायक प्राध्यापक मेडिसिन डॉ. प्रणय बाजपेयी सहित ऑनलाईन वर्चुअल मीट के माध्यम से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यगण शामिल हुए। वैज्ञानिक परिचर्चा में कोविड के वर्तमान स्वरुप, उपचार में आवश्यक जांचे एवं सी टी स्कैन की आवश्यकता के साथ ही ऑक्सीजन का सही उपयोग एवं कम गंभीर रोगियों को घर पर ही होम आइसोलेशन में दिये जाने वाले उपचार एवं गंभीर रोगियों में रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग की नवीन गाईडलाईन्स एवं अन्य दवाईयों की आवश्यकता के बारे में चर्चा की गई। परिचर्चा में बताया गया कि यदि किसी कोविड पॉजिटिव का ऑक्सीजन सेचुरेशन 94 प्रतिशत से कम आता है, तो उसे अस्पताल में भर्ती कर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन का डोज संक्रमण काल की शुरुआत में कारगार साबित होता है, 7 दिन बाद इसका इस्तेमाल घातक हो सकता है, इसलिए इसका उपयोग कब और कैसे करना है इलाज करने वाले डॉक्टर्स पर छोड़ देना चाहिए, इसके दबाव डालना ठीक नहीं है।

हमारे डॉक्टर धरती पर ईश्वर का रूप है :

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि पिछले एक वर्ष स शासन एवं प्रशासन अपनी पूरी क्षमता के साथ कोरोना के विरूद्ध इस लड़ाई में निरंतर कार्यशील है। लेकिन कोरोना के विरूद्ध इस संघर्ष के असली योद्धा हमारे जिले के डॉक्टर्स है। जो अपने दृढ़संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ अपना सर्वस्व न्यौछावर कर नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु कोरोना से लगातार लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे डॉक्टर धरती पर ईश्वर का रूप है। उनके कोरोना मुक्त इंदौर बनाने के इस दृढ़सकंल्प को मैं नमन करता हूँ।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि इंदौर के इस संकल्प का प्रभाव केवल प्रदेश पर नहीं बल्कि पूरे देश पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि यदि कोरोना के विरूद्ध इस अभियान को जनआंदोलन का रूप दिया जायेगा, तो जीत इंदौर नागरिकों के संकल्प, सामर्थ्य और समन्वय की होगी। उन्होंने कहा कि आज की इस परिचर्चा में रेमडेसिविर इंजेक्शन एवं ऑक्सीजन के उपयोग जैस जरूरी विषयों पर वैज्ञानिक मत दिये जायेंगे। जिनका पालन हम सभी के लिये अत्यंत अनिवार्य हैं।

होम क्वारंटाइन है ज्यादा कारगर :

सांसद श्री लालवानी ने कहा कि बहुधा देखा गया है कि कोरोना संक्रमित पाये जाने पर मरीज एवं उसके परिवारजन घबराहट में बिना मरीज के स्थिति की गंभीरता का परिक्षण किये हुये सीटी स्कैन, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग की मांग करने लगते है। लेकिन कोरोन के बढ़ते मामलों और संसाधनों की निरंतरता में आ रही कमी को दृष्टिगत रखते हुये यह जरूरी है कि हम जिन मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करना है और जिन्हें होम क्वारंटाइन से उपचार दिया जा सकता है, इन दो श्रेणी में विभाजित कर लें। साथ ही किस मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है और किसे नहीं इसको भी चिकित्सकों द्वारा चिन्हित किया जाये और मरीजों को समझाया जाये। चिकित्सकगण निर्धारित पैरामीटर के आधार पर ही ऑक्सीजन एवं रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि अपने व्यक्तिगत अनुभव से उनका मानना है कि कोरोना मरीज के उपचार में होम क्वारंटाइन 'यादा कारगर है। मरीज को जो सुविधा अपने घर पर प्राप्त होती है, उससे उसका मानसिक तनाव दूर होता है।

जरूरी संसाधनों का ना हो अत्याधिक उपयोग :

संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में बढ़ते कोविड मामलों के फलस्वरूप पिछले कुछ दिनों से जिले में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता में कमी आई है। इसलिए वर्तमान समय की मांग है कि उक्त संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि असिंप्टोमेटिक कोरोना संक्रमित मरीज जिन्हें किसी प्रकार के लक्षण नहीं है, वे रेमडेसिविर इंजेक्शन की जगह एंटीवायरल डोज ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना संक्रमति मरीजों द्वारा अत्याधिक चेस्ट सीटी स्कैन कराया जा रहा है। यह भी एक चिंताजनक विषय है, अत्याधिक सीटी स्कैन मरीज के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए सभी चिकित्सक यह सुनिश्चित करें कि मरीज के कहने पर नहीं बल्कि डॉक्टर की सलाह पर ही सीटी स्कैन कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन भी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कोरोनावायरस मरीजों का उपचार किया जा रहा है, वहां पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली लाइन की पूर्ण रूप से चेकिंग की जाए। जिससे ऑक्सीजन का अनावश्यक लीकेज रोका जा सके। संभागायुक्त डॉ शर्मा ने कहा कि ऐसे सभी अस्पताल, जहां पर संक्रमित मरीजों को रखा गया है, वहां वार्ड वार या फ्लोर वार ऑक्सीजन प्रभारी नियुक्त किये जाये। सभी ऑक्सीजन प्रभारी यह सुनिश्चित करेंगे कि मरीज द्वारा ऑक्सीजन मास्क अनावश्यक रूप से ऑन ना छोड़ा जाए। ऑक्सीजन प्रभारी सतत मॉनिटरिंग करेंगे कि ऑक्सीजन का अनावश्यक उपयोग ना हो। जिस मरीज को जितनी संख्या में ऑक्सीजन देना है उसी संख्या में उसे ऑक्सीजन दिया जाए।

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