Indore : नहीं मिली शहर को अब तक जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन
इंदौर, मध्यप्रदेश। तीसरी लहर की शुरुआत में जब ओमिक्रान वैरिएंट अफ्रिका में फैला था, तो मप्र शासन ने घोषणा की थी कि इंदौर के साथ ही रीवा, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर के मेडिकल कॉलेजों में जीनोम स्क्विेंसिंग मशीन दी जाएगी, ताकि समय पर कोरोना के वैरिएंट का समय रहते पता लगाया जा सके और उचित कदम उठाया जा सके। घोषणा के करीब दो माह बीच चुके हैं, लेकिन अब तक इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज को यह मशीन मिलना तो दूर, इसकी सुगबुगाहट भी नहीं दिख रही है।
वहीं तीसरी लहर उतार पर है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च-अप्रैल में एक बार फिर कोरोना के केस बढ़ सकते हैं। यदि इसी दौरान कोरोना का कोई नया वैरिएंट सक्रिय हो जाता है, तो हालत बिगड़ भी सकते हैं। इसके लिए तैयार रहना जरूरी है। ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मशीन का होना जरूरी है, ताकि समय रहता चेता जा सके, लेकिन फिलहाल यह योजना ठंडे बस्ते में जाते दिख रही है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेज चुका है प्रस्ताव :
राज्य शासन ने जीनोम स्क्विेंसिंग प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों को देने की घोषणा की थी, इसके पूर्व ही एमजीएम मेडिकल कालेज द्वारा जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन का प्रस्ताव शासन को भेजा था। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में इंदौर जिले में पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा संक्रमित मिले थे। यही वजह है कि यहां जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की गई थी। दूसरी लहर में डेल्टा और डेल्टा प्लस ने कहर बरपाया था, लेकिन समय रहते इसकी पहचान नहीं हुई थी। वहीं तीसरी लहर में ओमिक्रान वैरिएंट के कारण शहर में तेजी से केस बढ़े थे। अब यदि आने वाले दिनों में केस बढ़ते हैं, तो फिर शहर के निजी मेडिकल कॉलेज के सहारे रहना पड़ेगा या फिर दिल्ली सेंपल भेजे जाएंगे, जिसकी रिपोर्ट महीनों बाद आएगी।
1600 से अधिक सेंपल भेजे गए थे दिल्ली :
कोरोना की तीसरी लहर के दौरान एमजीएम मेडिकल कॉलेज द्वारा 1600 से अधिक सेंपल जीनोम स्क्विेंसिंग के लिए दिल्ली भेजे गए थे। इनकी रिपोर्ट महीनो बाद दिल्ली से आई, वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 200 से अधिक सेंपल की जांच रिपोर्ट दिल्ली में अभी भी अटकी हुई है। सवाल यह उठ रहा है कि जब कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत में ही सेंपल भेजे गए थे, तो ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह में रिपोर्ट आ जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं इसके कारण शहर में ओमिक्रान वैरिएंट है या डेल्टा या अन्य कोई वैरिएंट लोगों को संक्रमित कर रहा है, इसकी जानकारी समय पर नहीं मिल सकी। इसके कारण इलाज और बचाव के लिए विशेषज्ञों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। एक ओर शहर के विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर यानि जनवरी से लेकर अब तक जो कोरोना संक्रमित हुए हैं, उनमें से 95 प्रतिशत को ओमिक्रान का संक्रमण था। वहीं आंकड़ों की बात की जाए, तो 1600 सेंपल में से आई 1400 सेंपल में केवल 9 कोरोना संक्रमितों में ओमिक्रान माना गया। ऐसे कैसे संभव है? या तो दिल्ली सेंपल भेजे ही नहीं गए या शहर के विशेषज्ञों का अनुमान गलत है।
यह कहना है इनका :
जीनोम स्क्विेंसिंग मशीन कॉलेज को मप्र शासन द्वारा दी जाएगी। फिलहाल अब तक मशीन नहीं मिली है। उम्मीद है जल्द मिल जाएगी। इसके आने के बाद जीनोम स्क्विेंसिंग पूरे संभाग की इंदौर में हो सकेगी। दिल्ली जांच के लिए करीब 1600 सेंपल भेजे गए थे, इनमें से 1400 की रिपोर्ट आ गई है, इनमें से 16 में ओमिक्रान की पुष्टि हुई है।
डॉ. संजय दीक्षित, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर
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